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अलविदा 2025: जलालाबाद का नाम परशुरामपुरी करने की मंजूरी, शाहजहांपुर को विकास प्राधिकरण की मिली सौगात

संवाद न्यूज एजेंसी, शाहजहांपुर Published by: मुकेश कुमार Updated Wed, 31 Dec 2025 04:32 PM IST
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सार

साल 2025 में शाहजहांपुर विकास प्राधिकरण की स्थापना ने शहर के सुनियोजित विकास की कल्पना को पंख लगाए। वहीं जलालाबाद का नाम बदले जाने को मंजूरी मिली। अब इस नगर को परशुरामपुरी से जाना जाएगा।

year ender 2025 renaming of Jalalabad to Parshurampuri and development authority formed in Shahjahanpur
न्यू ककरा सिटी स्थित शाहजहांपुर विकास प्राधिकरण का कार्यालय - फोटो : संवाद
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विस्तार
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वर्ष 2025 में जहां शाहजहांपुर जिले को लगातार दूसरी बार आई बाढ़ ने जख्म दिए तो कई उपलब्धियों ने आगे बढ़ने का साहस प्रदान किया। खासतौर पर शाहजहांपुर विकास प्राधिकरण की स्थापना ने शहर के सुनियोजित विकास की कल्पना को पंख लगाए। पुवायां में भैंसी नदी का पनुरुद्धार किया गया। नदी की दोबारा खोदाई की गई, जिससे वर्षों से सूखी नदी में जलधारा प्रवाहित हो गई। भगवान परशुराम की जन्मस्थली जलालाबाद अब उनके नाम परशुरामपुरी से जाना जाएगा। इस पर इस वर्ष केंद्र सरकार से अनुमति मिल गई है।

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जलालाबाद का नया नाम होगा परशुरामपुरी
13 अगस्त 2025 को गृह मंत्रालय ने भगवान परशुराम की जन्मस्थली जलालाबाद का नाम परशुरामपुरी किए जाने पर सहमति प्रदान की। प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति सहित प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजा था। अब यूपी कैबिनेट से हरी झंडी मिलनी है। जन्मस्थली के पुनरुद्धार के लिए 30 करोड़ रुपये से विकास कार्य चल रहा है।
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एसडीए से होगा शहर का सुनियोजित विकास
17 फरवरी 2025 को शाहजहांपुर विकास प्राधिकरण की अधिसूचना जारी कर दी गई थी। 24 अगस्त को वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने न्यू ककरा सिटी में नगर निगम के गेस्ट हाउस में अस्थायी कार्यालय का शुभारंभ किया। एसडीए ने अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस देना शुरू कर दिया है। साथ ही नक्शे पास होने लगे हैं।

बाढ़ से बड़ा इलाका हुआ प्रभावित
वर्ष 2024 के जुलाई में गर्रा और खन्नौत नदी में आई भीषण बाढ़ ने ग्रामीण क्षेत्र के साथ बड़ी शहरी आबादी को प्रभावित किया था। गत वर्ष के जख्म अभी ताजा ही थे कि इस वर्ष 3-4 सितंबर को फिर से सैलाब ने लोगों को दहला दिया। शहर के हजारों लोगों को अपना मकान छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा।

15 साल से सूखी भैंसी नदी को किया गया पुनर्जीवित
वर्ष 2023 में पुवायां क्षेत्र में गोमती की सहायक और 15 वर्ष से पूरी तरह से सूखी पड़ी भैंसी नदी को पुनर्जीवित करने का काम किया गया। बरसात में नदी में जलधारा भी बही थी। हालांकि अभी नदी में पानी नहीं है। नदी की भूमि से कब्जे हटाने और खोेदाई के बाद पौधरोपण का काम पूरा हो चुका है। धीरे-धीरे कर नदी अपने प्राकृतिक स्वरूप में लौटेगी। 
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