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महिलाओं के अधिकारों को दर्शाता है नाटक ध्रुवस्वामिनी
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शाहजहांपुर के गांधी भवन में ध्रुवस्वामिनी नाटक का मंचन करते कलाकार । संवाद
- फोटो : SHAHJAHANPUR
शाहजहांपुर। अथर्व कल्चरल सोसाइटी के बैनर तले एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित नाटक ध्रुव स्वामिनी का मंचन हुआ। इसका निर्देशन मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र योगेश पांडेय ने किया।
नाटक में दिखाया गया कि गुप्त काल के राजा समुद्र गुप्त के दो पुत्र रामगुप्त और चंद्रगुप्त हैं। इनमें से चंद्रगुप्त को ही साम्राज्य के भावी उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया था। समुद्रगुप्त की मौत के बाद चंद्रगुप्त अपने बड़े भाई रामगुप्त का शिखरस्वामी के साथ मिलकर फैलाए गए अनेक कुचक्रों में फंस जाता है। चंद्रगुप्त अपने समस्त अधिकार बड़े भाई रामगुप्त को सौंप देते हैं। रामगुप्त ध्रुवस्वामिनी से विवाह भी कर लेते हैं, जबकि ध्रुवस्वामिनी चन्द्रगुप्त से प्रेम करती हैं। रामगुप्त पूर्ण रूप कायर और भोग विलास में लिप्त रहते हैं।
वहीं, दूसरी ओर शकों का राजा शकराज द्वारा राज्य को घेर लेने पर भी वह अपनी कायरता का ही परिचय देते हैं। शकराज के संधि प्रस्ताव में ध्रुवस्वामिनी को मांगा जाता है तो रामगुप्त ध्रुवस्वामिनी को जाने के लिए मजबूर करते हैं। ध्रुवस्वामिनी इसका विरोध करती है और अपने स्वाभिमान और अस्तित्व की भी मांग करती है। पुरुष सत्ता समाज के शोषण के प्रति ध्रुवस्वामिनी विरोधी स्वर उठाती है। शकराज के शिविर में चंद्रगुप्त शकराज को मार देता है। इस तरह से ध्रुवस्वामिनी की रक्षा होती है और राज्य के समस्त अधिकार चंद्रगुप्त अपने हाथ में ले लेते हैं। नाटक को देख रहे दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं।
नाटक के प्रमुख पात्रों में नैना गुप्ता, मिली देवनाथ, दीपाली कश्यप, प्रियंका, ऋषिकांत ऋषि, अमित हरिश्चंद्र, सुहेल संन्यासी, राहुल वाजपेयी, मृत्युंजय शुक्ला, अवनीश पाल, अमन राजवंशी, अंकित पांडेय, राजेश भारती, ऐश्वर्य अवस्थी, आदित्य वर्मा, अनमोल राठौर, सूरज पाल, सर्वेश रहे। प्रणव पाल, मो. शादान, दुर्गेश कुमार, शिवम मिश्रा, शाजमा फातमी, आशीष गुप्ता, गौरव भारती, सकपाल गौतम का सहयोग रहा।
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नाटक में दिखाया गया कि गुप्त काल के राजा समुद्र गुप्त के दो पुत्र रामगुप्त और चंद्रगुप्त हैं। इनमें से चंद्रगुप्त को ही साम्राज्य के भावी उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया था। समुद्रगुप्त की मौत के बाद चंद्रगुप्त अपने बड़े भाई रामगुप्त का शिखरस्वामी के साथ मिलकर फैलाए गए अनेक कुचक्रों में फंस जाता है। चंद्रगुप्त अपने समस्त अधिकार बड़े भाई रामगुप्त को सौंप देते हैं। रामगुप्त ध्रुवस्वामिनी से विवाह भी कर लेते हैं, जबकि ध्रुवस्वामिनी चन्द्रगुप्त से प्रेम करती हैं। रामगुप्त पूर्ण रूप कायर और भोग विलास में लिप्त रहते हैं।
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वहीं, दूसरी ओर शकों का राजा शकराज द्वारा राज्य को घेर लेने पर भी वह अपनी कायरता का ही परिचय देते हैं। शकराज के संधि प्रस्ताव में ध्रुवस्वामिनी को मांगा जाता है तो रामगुप्त ध्रुवस्वामिनी को जाने के लिए मजबूर करते हैं। ध्रुवस्वामिनी इसका विरोध करती है और अपने स्वाभिमान और अस्तित्व की भी मांग करती है। पुरुष सत्ता समाज के शोषण के प्रति ध्रुवस्वामिनी विरोधी स्वर उठाती है। शकराज के शिविर में चंद्रगुप्त शकराज को मार देता है। इस तरह से ध्रुवस्वामिनी की रक्षा होती है और राज्य के समस्त अधिकार चंद्रगुप्त अपने हाथ में ले लेते हैं। नाटक को देख रहे दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं।
नाटक के प्रमुख पात्रों में नैना गुप्ता, मिली देवनाथ, दीपाली कश्यप, प्रियंका, ऋषिकांत ऋषि, अमित हरिश्चंद्र, सुहेल संन्यासी, राहुल वाजपेयी, मृत्युंजय शुक्ला, अवनीश पाल, अमन राजवंशी, अंकित पांडेय, राजेश भारती, ऐश्वर्य अवस्थी, आदित्य वर्मा, अनमोल राठौर, सूरज पाल, सर्वेश रहे। प्रणव पाल, मो. शादान, दुर्गेश कुमार, शिवम मिश्रा, शाजमा फातमी, आशीष गुप्ता, गौरव भारती, सकपाल गौतम का सहयोग रहा।