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Shravasti News: अनुयायियों ने की विशेष वर्षावास पूजा
संवाद न्यूज एजेंसी, श्रावस्ती
Updated Mon, 15 Sep 2025 01:37 AM IST
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बुद्ध विहार में परिक्रमा करते बौद्ध भिक्षु। - संवाद
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कटरा। बौद्ध सांस्कृतिक महासभा बुद्ध विहार श्रावस्ती में जारी विशेष वर्षावास पूजा में रविवार को सिक्किम, देहरादून, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख व सिलीगुड़ी आदि से आए अनुयायियों ने पूजा-अर्चना की। हिमालयन बौद्ध भिक्षु जलछनलामा ने इस दौरान सभी अनुयायियों को वर्षावास पूजा का महत्व बताया।
बौद्ध अनुयायियों को संबोधित करते हुए कि बौद्ध भिक्षु जलछनलामा ने कहा कि वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु तीन महीने तक विचरण नहीं करते हैं। एक ही स्थान पर रहकर भगवान बुद्ध का ध्यान लगाते हैं। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं का त्रैमासिक वर्षावास अनुष्ठान भी होता है।
उन्होंने आगे बताया कि सभी बौद्ध भिक्षु वर्षावास के दौरान भगवान बुद्ध के करुणा, शील और त्याग के सिद्धांतों का पूर्णरुपेण पालन करते हैं और अपना सारा समय लोगों की भलाई और तपस्या में लगाते हैं। कई देशों के बौद्ध भिक्षु यहां वर्षावास व्यतीत करने आते हैं।
बताया कि वर्षावास काल समाप्त होने के बाद बौद्ध मंदिरों में चीवरदान की परंपरा की शुरुआत होगी, जो एक माह तक विभिन्नि बौद्ध मठों में चलेगी। इस दौरान तपोस्थली पर सिक्किम, देहरादून, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, सिलीगुड़ी, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब व हरियाणा से आए बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे।

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बौद्ध अनुयायियों को संबोधित करते हुए कि बौद्ध भिक्षु जलछनलामा ने कहा कि वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु तीन महीने तक विचरण नहीं करते हैं। एक ही स्थान पर रहकर भगवान बुद्ध का ध्यान लगाते हैं। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं का त्रैमासिक वर्षावास अनुष्ठान भी होता है।
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उन्होंने आगे बताया कि सभी बौद्ध भिक्षु वर्षावास के दौरान भगवान बुद्ध के करुणा, शील और त्याग के सिद्धांतों का पूर्णरुपेण पालन करते हैं और अपना सारा समय लोगों की भलाई और तपस्या में लगाते हैं। कई देशों के बौद्ध भिक्षु यहां वर्षावास व्यतीत करने आते हैं।
बताया कि वर्षावास काल समाप्त होने के बाद बौद्ध मंदिरों में चीवरदान की परंपरा की शुरुआत होगी, जो एक माह तक विभिन्नि बौद्ध मठों में चलेगी। इस दौरान तपोस्थली पर सिक्किम, देहरादून, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, सिलीगुड़ी, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब व हरियाणा से आए बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे।