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Sitapur News: मोक्ष की कामना से बेसहारा बुजुर्ग कर रहे पिंडदान

संवाद न्यूज एजेंसी, सीतापुर Updated Sun, 14 Sep 2025 12:47 AM IST
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Helpless elderly people are performing Pind Daan with the desire of salvation
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नैमिषारण्य (सीतापुर)। मोक्ष की कामना को लेकर वृद्धाश्रम में रह रहे लोग जीते जी अपना पिंडदान कर रहे हैं। परलोक को सुधारने के लिए वह पंडितों से अपना श्राद्ध कर्म भी करवा रहे हैं। ये बुजुर्ग कहते हैं कि भगवान जब कई पीढ़ियाें को तार देते हैं तो वे हमें भी मुक्ति प्रदान करेंगे। पता नहीं दुनिया से जाने के बाद कौन श्राद्ध कर्म करेगा, इसीलिए खुद ही हम अपना पिंडदान करवा दे रहे हैं। पंडितों से अपने नाम से तर्पण करवा रहे हैं।
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सनातन धर्म में मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में वंशज अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। पितृपक्ष में नैमिषारण्य के वृद्धाश्रम में रहने वाले 112 बुजुर्गों में से कई वृद्धजनों को अब अपने क्रिया-कर्म व पिंडदान की चिंता सताने लगी है। दरअसल, यहां रहने वाले कई बुजुर्गों का कोई अपना नहीं है। मरने के बाद इनका तर्पण व पिंडदान कौन करेगा, यह सोचकर इनकी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। ऐसे में एक वृद्धा ने जीते-जी अपना पिंडदान कर दिया है। इसी तरह एक अन्य बुजुर्ग भी पिंडदान करने का निर्णय लिया है। कई बुजुर्ग मुक्ति के लिए भगवान की भक्ति में लीन हैं।
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चिंता से बचने को खुद किया पिंडदान
नैमिषारण्य के वृद्धाश्रम में रहने वाली 70 वर्षीय संत किशोरी ने बताया कि उनका कोई नहीं है। मरने के बाद मुक्ति मिलेगी या नहीं, यह सोचती रहती थी। मरने के बाद मेरा श्राद्ध व पिंडदान कौन करेगा, इसलिए मैंने अपने लिए स्वयं ही पिंडदान कर दिया है।


मुक्ति पाने को खुद करेंगे पिंडदान
हरदोई निवासी नरेंद्र पाल सिंह (82) ने बताया कि मेरा कोई नहीं हैं। नैमिषारण्य के वृद्धाश्रम में जीवन के अंतिम दिन बिता रहे हूं। मेरा पिंडदान कौन करेगा जब कोई नहीं है, इसलिए अपनी मुक्ति के लिए खुद ही पिंडदान करने का निर्णय लिया है।


भगवान का भजन करके पाऊंगा मुक्ति
सीतापुर निवासी अजय कुमार (62) वृद्धाश्रम में रहते हैं। अजय ने बताया कि परिवार में कोई नहीं है तो मेरा पिंड दान व श्राद्ध कैसे होगा। इसलिए ईश्वर का भजन करके मुक्ति पाऊंगा। भगवान जब 21 पीढ़ियां तार देते हैं तो हमें भी वह तारेंगे।


भगवान भरोसे सब छोड़ा
बिहार की उर्मिला देवी (62) नैमिषारण्य के वृद्धाश्रम में रहती हैं। उर्मिला ने बताया कि बेटे और पति की मौत हो चुकी है। ऐसे में मेरा पिंडदान व श्राद्ध अब कौन करेगा। अब भगवान नर्क भेजें या स्वर्ग सब उन्हीं के हाथ में है।


आत्मश्राद्ध का है विधान
प्राचार्य प्रभाकर द्विवेदी ने बताया कि जिनके परिवार में कोई नहीं होता है वह आत्मश्राद्ध कर सकते हैं। सनातन धर्म में कोई मनुष्य जब संन्यास लेता है तो सबसे पहले अपना आत्मश्राद्ध करता है। इसी तरह जिनके कोई नहीं होता या जिन्हें लगता है कि उनका कोई पिंडदान व श्राद्ध नहीं करेगा तो उनके लिए आत्मश्राद्ध का विधान है।
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