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Sitapur News: ठगी की खरीदी भू संपत्तियों पर एसओजी की नजर
संवाद न्यूज एजेंसी, सीतापुर
Updated Thu, 04 Dec 2025 12:21 AM IST
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सीतापुर। बॉम्बिटेक्स और बीमैक्स रियल्टी में करीब तीन हजार लोगों से निवेश के नाम पर हुई 50 करोड़ से अधिक की ठगी की रकम से कई बेशकीमती संपत्तियां खरीदी गई थी। एसपी के निर्देश पर चल रही इस मामले की जांच में खरीदी गई संपत्तियों पर एसओजी की पूरी नजर है। एसपी के निर्देश पर एसओजी इसमें मदद पहुंचाने वालों की कुंडली खंगालने में जुटी है। सूत्रों के अनुसार ठगी की इस रकम से सीतापुर व लखनऊ में कई भू संपत्तियों की खरीद की गई है।
रामकोट निवासी विराट राठौर ने 8 नवंबर को शहर कोतवाली में निवेश के नाम पर हुई ठगी के मामले में एफआईआर की थी। शहर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों पर मामला दर्ज करते हुए एक आरोपी को जेल भेजा है। पीड़ित विराट के अनुसार बॉम्बिटेक्स कंपनी के सीईओ जय प्रकाश मौर्या, निदेशक अनुष्का मौर्या, देवेंद्र मौर्या, प्रमोटर नीतिका मौर्या और फंड मैनेजर दयाशंकर मौर्या ने सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर व अन्य जिलों में सेमिनार आयोजित कर लोगों को निवेश के लिए प्रोत्सहित किया। इनके झांसे में आकर करीब तीन हजार लोगों ने पचास करोड़ रुपये की रकम उनके बताए प्रोजेक्ट में निवेश कर दी। इसके बाद जून 2025 में कंपनी के सीईओ ने खुद के साथ ठगी की बात कहकर लाभांश देना बंद कर दिया। इसके बाद कंपनी भाग गई।
इस मामले में पुलिस के साथ एसओजी भी आरोपियों की तलाश में जुटी है। कंपनी के एक निदेशक देवेंद्र मौर्या को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। सूत्रों के अनुसार इस तरह के ठगों को रकम का आदान प्रदान करने के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले छह संदिग्ध एसओजी की हिरासत में भी हैं। पूछताछ के बाद पुलिस अधिकृत तौर पर इसका खुलासा करेगी।
बॉम्बिटेक्स ठगी में निवेश कराई गई रकम से आरोपियों ने बेशकीमती संपत्तियां खरीदीं। इनमें सीतापुर की कांशीराम कॉलोनी के पास साढ़े तीन बीघा जमीन, सीतापुर में एक बड़ा मकान, लखनऊ के दुबग्गा में एक मकान, बिजनौर में फ्लैट के साथ आगरा एक्सप्रेस वे पर लाखों कीमत की भू संपत्तियों की खरीदी की गई। अब इन्हें खरीदने में मदद पहुंचाने वालों पर एसओजी का शिकंजा कसता जा रहा है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार निवेश के नाम पर ठगी करने वाले बड़े पैमाने पर युवाओं को जोड़कर उनके बैंक खातों का इस्तेमाल रकम मंगाने और भेजने के लिए करते हैं। बॉम्बिटेक्स मामले में भी ठगों ने युवाओं को जोड़कर उन्हें कुछ बचत खाते उपलब्ध कराए। इसमें ही ठगी की रकम जमा करवाई गई। यह खाते देवेंद्र मौर्या ने उपलब्ध कराए थे। इनमें कंपनी के खाते का बहुत कम इस्तेमाल होता था। युवाओं को पांच पांच हजार रुपये का लालच देकर बैंक खाते खुलवाए जाते थे। इसके बाद रकम का बंटवारा होता था।
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रामकोट निवासी विराट राठौर ने 8 नवंबर को शहर कोतवाली में निवेश के नाम पर हुई ठगी के मामले में एफआईआर की थी। शहर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों पर मामला दर्ज करते हुए एक आरोपी को जेल भेजा है। पीड़ित विराट के अनुसार बॉम्बिटेक्स कंपनी के सीईओ जय प्रकाश मौर्या, निदेशक अनुष्का मौर्या, देवेंद्र मौर्या, प्रमोटर नीतिका मौर्या और फंड मैनेजर दयाशंकर मौर्या ने सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर व अन्य जिलों में सेमिनार आयोजित कर लोगों को निवेश के लिए प्रोत्सहित किया। इनके झांसे में आकर करीब तीन हजार लोगों ने पचास करोड़ रुपये की रकम उनके बताए प्रोजेक्ट में निवेश कर दी। इसके बाद जून 2025 में कंपनी के सीईओ ने खुद के साथ ठगी की बात कहकर लाभांश देना बंद कर दिया। इसके बाद कंपनी भाग गई।
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इस मामले में पुलिस के साथ एसओजी भी आरोपियों की तलाश में जुटी है। कंपनी के एक निदेशक देवेंद्र मौर्या को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। सूत्रों के अनुसार इस तरह के ठगों को रकम का आदान प्रदान करने के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले छह संदिग्ध एसओजी की हिरासत में भी हैं। पूछताछ के बाद पुलिस अधिकृत तौर पर इसका खुलासा करेगी।
बॉम्बिटेक्स ठगी में निवेश कराई गई रकम से आरोपियों ने बेशकीमती संपत्तियां खरीदीं। इनमें सीतापुर की कांशीराम कॉलोनी के पास साढ़े तीन बीघा जमीन, सीतापुर में एक बड़ा मकान, लखनऊ के दुबग्गा में एक मकान, बिजनौर में फ्लैट के साथ आगरा एक्सप्रेस वे पर लाखों कीमत की भू संपत्तियों की खरीदी की गई। अब इन्हें खरीदने में मदद पहुंचाने वालों पर एसओजी का शिकंजा कसता जा रहा है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार निवेश के नाम पर ठगी करने वाले बड़े पैमाने पर युवाओं को जोड़कर उनके बैंक खातों का इस्तेमाल रकम मंगाने और भेजने के लिए करते हैं। बॉम्बिटेक्स मामले में भी ठगों ने युवाओं को जोड़कर उन्हें कुछ बचत खाते उपलब्ध कराए। इसमें ही ठगी की रकम जमा करवाई गई। यह खाते देवेंद्र मौर्या ने उपलब्ध कराए थे। इनमें कंपनी के खाते का बहुत कम इस्तेमाल होता था। युवाओं को पांच पांच हजार रुपये का लालच देकर बैंक खाते खुलवाए जाते थे। इसके बाद रकम का बंटवारा होता था।