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Sonebhadra News: पन्नूगंज के पूर्व एसओ पर दर्ज होगा अनुसूचित जाति उत्पीड़न का केस
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सोनभद्र। अनुसूचित जाति की महिला के उत्पीड़न के मामले में पन्नूगंज थाना के पूर्व एसओ के खिलाफ अदालत ने केस दर्ज करने का आदेश दिया है। उन पर महिला आरक्षी के बिना एक महिला को थाने के कमरे में बैठाए रखने का आरोप है। विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट आबिद शमीम की अदालत ने केस दर्ज कर सीओ से विवेचना कराने काे कहा है।
पन्नूगंज थाना क्षेत्र के किरहुलिया गांव निवासी मंजू देवी ने कोर्ट में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में कहा है कि चार जुलाई की रात 11 बजे वह अपने गांव के एक सरहंग व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराने पन्नूगंज थाने पर गई थी। उसका केस अगले दिन पांच जुलाई को दर्ज किया गया।
आरोप लगाया गया है कि जब वह थाने पहुंची तो तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश प्रकाश पांडेय ने उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। उसे थाने के कमरे में धकेल कर रात पर भी विधि विरुद्ध तरीके से बैठाए रखा गया। दावा किया गया कि उस दौरान वहां पर कोई महिला आरक्षी नहीं थी। दूसरे दिन वह अपने परिजन से मिलने सरकारी अस्पताल गई। इसके बाद घटना की जानकारी रजिस्टर्ड डाक से एसपी को दी और न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल कर गुहार लगाई।
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पुलिस ने कहा: नहीं हैं पुष्टिकारक साक्ष्य, अदालत ने कहा : करें विवेचना
प्रकरण में विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट आबिद शमीम की अदालत ने सुनवाई करते हुए पन्नूगंज पुलिस से आख्या तलब की। थाने से भेजी गई आख्या में अवगत कराया गया कि लगाए गए आरोपों के संबंध में कोई पुष्टिकारक साक्ष्य नहीं पाया गया है। न्यायालय ने पाया कि प्रार्थना पत्र के अवलोकन से प्रकरण गम्भीर प्रकृति का प्रतीत हो रहा है जिसकी विवेचना पुलिस से कराया जाना न्यायोचित है। प्रभारी निरीक्षक पन्नूगंज को आदेशित किया गया है कि वह प्रार्थना पत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर मुकदमा पंजीकृत कराते हुए संबंधित क्षेत्राधिकारी से मामले की विवेचना कराना सुनिश्चित करें।
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पन्नूगंज थाना क्षेत्र के किरहुलिया गांव निवासी मंजू देवी ने कोर्ट में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में कहा है कि चार जुलाई की रात 11 बजे वह अपने गांव के एक सरहंग व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराने पन्नूगंज थाने पर गई थी। उसका केस अगले दिन पांच जुलाई को दर्ज किया गया।
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आरोप लगाया गया है कि जब वह थाने पहुंची तो तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश प्रकाश पांडेय ने उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। उसे थाने के कमरे में धकेल कर रात पर भी विधि विरुद्ध तरीके से बैठाए रखा गया। दावा किया गया कि उस दौरान वहां पर कोई महिला आरक्षी नहीं थी। दूसरे दिन वह अपने परिजन से मिलने सरकारी अस्पताल गई। इसके बाद घटना की जानकारी रजिस्टर्ड डाक से एसपी को दी और न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल कर गुहार लगाई।
पुलिस ने कहा: नहीं हैं पुष्टिकारक साक्ष्य, अदालत ने कहा : करें विवेचना
प्रकरण में विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट आबिद शमीम की अदालत ने सुनवाई करते हुए पन्नूगंज पुलिस से आख्या तलब की। थाने से भेजी गई आख्या में अवगत कराया गया कि लगाए गए आरोपों के संबंध में कोई पुष्टिकारक साक्ष्य नहीं पाया गया है। न्यायालय ने पाया कि प्रार्थना पत्र के अवलोकन से प्रकरण गम्भीर प्रकृति का प्रतीत हो रहा है जिसकी विवेचना पुलिस से कराया जाना न्यायोचित है। प्रभारी निरीक्षक पन्नूगंज को आदेशित किया गया है कि वह प्रार्थना पत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर मुकदमा पंजीकृत कराते हुए संबंधित क्षेत्राधिकारी से मामले की विवेचना कराना सुनिश्चित करें।