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Sultanpur News: मौसम के साथ डेंगू ने बदला स्वरूप
संवाद न्यूज एजेंसी, सुल्तानपुर
Updated Sat, 13 Sep 2025 01:37 AM IST
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मेडिकल कॉलेज में दवा लेने के लिए लगी मरीजों की भीड़
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सुल्तानपुर। बारिश थमने के बाद धूप और उमस ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तापमान में उतार-चढ़ाव से मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में बुखार पीड़ित मरीजों की भीड़ उमड़ रही है।
रोजाना ओपीडी में दो हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तेज बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि कई मरीजों में डेंगू जैसे लक्षण तो मिल रहे हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ऐसे मरीजों को चिकित्सक डेंगू संदिग्ध मानकर उपचार कर रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का कहना है कि लक्षणों के आधार पर मरीजों को जांच कराने की सलाह दी जाती है। चिकित्सक डॉ. आर धीरेंद्र ने बताया कि तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर पर चकत्ता, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द डेंगू के सामान्य लक्षण हैं। मच्छर काटने के चार से दस दिन बाद ये लक्षण दिखाई देने लगते हैं और तीन से सात दिनों तक बने रहते हैं। समय से इलाज व सावधानी बरतने पर मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
मौसम परिवर्तन के चलते डेंगू के संदिग्ध मरीज आ रहे हैं, इस बार डेंगू का स्वरूप बदला सा है। इसलिए चिकित्सक डेंगू मानकर इलाज कर रहे हैं, भले ही एलाइजा जांच निगेटिव हो।
जांच में आ रहा फर्क
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. सौम्या ने बताया कि मेडिकल कॉलेज की लैब में रोजाना 40 से 50 एनएस-1 कार्ड टेस्ट और 25 से 30 एलाइजा जांच हो रही है। जुलाई से अब तक 550 एनएस-1 कार्ड टेस्ट और 600 एलाइजा जांच की जा चुकी हैं, जिनमें 20 से 23 मरीज पॉजिटिव मिले।
बृहस्पतिवार को हुई 20 एलाइजा जांच में तीन मरीज पॉजिटिव आए। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज अक्सर बुखार की अवधि सही नहीं बताते, जिससे रिपोर्ट पर असर पड़ता है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. वंशीलाल ने बताया कि जिले में अब तक 35 डेंगू मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिनका इलाज चल रहा है।
बचाव के उपाय
- घर और आसपास पानी न रुकने दें।
- टूटे गमले, टायर या खुले बर्तन में जमा पानी को तुरंत खाली करें।
- पूरी बाजू के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- बच्चों को फुल-स्लीव कपड़े पहनाकर ही बाहर भेजें।
- कमरे में मच्छर भगाने वाले साधन (कॉइल, लिक्विड, अगरबत्ती) का प्रयोग करें।
- बुखार आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें, खासकर एस्प्रिन और ब्रूफेन का इस्तेमाल न करें।
- लक्षण दिखने पर तुरंत ब्लड टेस्ट कराएं और डॉक्टर की देखरेख में इलाज कराएं।

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रोजाना ओपीडी में दो हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तेज बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि कई मरीजों में डेंगू जैसे लक्षण तो मिल रहे हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ऐसे मरीजों को चिकित्सक डेंगू संदिग्ध मानकर उपचार कर रहे हैं।
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मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का कहना है कि लक्षणों के आधार पर मरीजों को जांच कराने की सलाह दी जाती है। चिकित्सक डॉ. आर धीरेंद्र ने बताया कि तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर पर चकत्ता, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द डेंगू के सामान्य लक्षण हैं। मच्छर काटने के चार से दस दिन बाद ये लक्षण दिखाई देने लगते हैं और तीन से सात दिनों तक बने रहते हैं। समय से इलाज व सावधानी बरतने पर मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
मौसम परिवर्तन के चलते डेंगू के संदिग्ध मरीज आ रहे हैं, इस बार डेंगू का स्वरूप बदला सा है। इसलिए चिकित्सक डेंगू मानकर इलाज कर रहे हैं, भले ही एलाइजा जांच निगेटिव हो।
जांच में आ रहा फर्क
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. सौम्या ने बताया कि मेडिकल कॉलेज की लैब में रोजाना 40 से 50 एनएस-1 कार्ड टेस्ट और 25 से 30 एलाइजा जांच हो रही है। जुलाई से अब तक 550 एनएस-1 कार्ड टेस्ट और 600 एलाइजा जांच की जा चुकी हैं, जिनमें 20 से 23 मरीज पॉजिटिव मिले।
बृहस्पतिवार को हुई 20 एलाइजा जांच में तीन मरीज पॉजिटिव आए। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज अक्सर बुखार की अवधि सही नहीं बताते, जिससे रिपोर्ट पर असर पड़ता है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. वंशीलाल ने बताया कि जिले में अब तक 35 डेंगू मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिनका इलाज चल रहा है।
बचाव के उपाय
- घर और आसपास पानी न रुकने दें।
- टूटे गमले, टायर या खुले बर्तन में जमा पानी को तुरंत खाली करें।
- पूरी बाजू के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- बच्चों को फुल-स्लीव कपड़े पहनाकर ही बाहर भेजें।
- कमरे में मच्छर भगाने वाले साधन (कॉइल, लिक्विड, अगरबत्ती) का प्रयोग करें।
- बुखार आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें, खासकर एस्प्रिन और ब्रूफेन का इस्तेमाल न करें।
- लक्षण दिखने पर तुरंत ब्लड टेस्ट कराएं और डॉक्टर की देखरेख में इलाज कराएं।