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Unnao News: टीईटी के विरोध में शिक्षकों ने साैंपा ज्ञापन
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कलक्ट्रेट में सिटी मजिस्ट्रेट राजीव राज को ज्ञापन देते शिक्षक। स्रोत: शिक्षक
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उन्नाव। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के देशव्यापी आह्वान पर जिले में शिक्षकों ने टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन किया। हजारों शिक्षकों ने मार्च निकालकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट राजीव राज को सौंपा।
महासंघ के जिलाध्यक्ष भरत चित्रांशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है। कहा कि टीईटी वर्ष 2010 के बाद से लागू हुई है। ऐसे में इसके पहले नियुक्त शिक्षकों पर यह लागू करना न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि उनके अनुभवों और सेवाओं का भी अपमान है। वर्ष 2017 के संशोधन को मनमाना करार देते हुए कहा कि सरकार को इस अधिनियम में पुनः संशोधन करना चाहिए।
जिला कोषाध्यक्ष सोनू बाजपेई ने आदेश को निराशाजनक बताते हुए कहा कि शिक्षक हर कदम पर चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में यह निर्णय उसकी कठिनाइयों को और बढ़ाएगा। इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ेगा। जिला संगठन मंत्री और महामंत्री ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस संशोधन को संसद से वापस नहीं लिया तो आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा। जिला उपाध्यक्ष गणेश शंकर गुप्ता ने सरकार से शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से लेने और उनके हित में ठोस कदम उठाने की मांग की।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष अखिलेश चंद्र शुक्ला ने साफ किया कि यह आंदोलन शिक्षकों की गरिमा और शिक्षा के भविष्य की रक्षा के लिए है और उनकी मांगें पूरी होने तक यह संघर्ष जारी रहेगा। मुख्य रूप से सत्यदेव सिंह, संजीव शंखवार, विवेक तिवारी, प्रज्ञा, स्नेहिल पांडे, धर्मेश, अजय प्रताप, जितेंद्र माैजूद रहे।

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महासंघ के जिलाध्यक्ष भरत चित्रांशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है। कहा कि टीईटी वर्ष 2010 के बाद से लागू हुई है। ऐसे में इसके पहले नियुक्त शिक्षकों पर यह लागू करना न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि उनके अनुभवों और सेवाओं का भी अपमान है। वर्ष 2017 के संशोधन को मनमाना करार देते हुए कहा कि सरकार को इस अधिनियम में पुनः संशोधन करना चाहिए।
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जिला कोषाध्यक्ष सोनू बाजपेई ने आदेश को निराशाजनक बताते हुए कहा कि शिक्षक हर कदम पर चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में यह निर्णय उसकी कठिनाइयों को और बढ़ाएगा। इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ेगा। जिला संगठन मंत्री और महामंत्री ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस संशोधन को संसद से वापस नहीं लिया तो आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा। जिला उपाध्यक्ष गणेश शंकर गुप्ता ने सरकार से शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से लेने और उनके हित में ठोस कदम उठाने की मांग की।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष अखिलेश चंद्र शुक्ला ने साफ किया कि यह आंदोलन शिक्षकों की गरिमा और शिक्षा के भविष्य की रक्षा के लिए है और उनकी मांगें पूरी होने तक यह संघर्ष जारी रहेगा। मुख्य रूप से सत्यदेव सिंह, संजीव शंखवार, विवेक तिवारी, प्रज्ञा, स्नेहिल पांडे, धर्मेश, अजय प्रताप, जितेंद्र माैजूद रहे।