शिक्षा या कोरमपूर्ति: 365 दिन के शैक्षणिक सत्र में पढ़ाई सिर्फ 180 दिन, शिक्षकों के लिए कोर्स पूरा कराना चुनौती
Varanasi News: वाराणसी में माध्यमिक और बेसिक शिक्षा के छात्रों का कोर्स पूरा कराना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। 365 दिन के शैक्षणिक सत्र में पढ़ाई सिर्फ 180 दिन हो रही।
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माध्यमिक शिक्षा हो या बेसिक, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ-साथ निपुण बनाना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। आलम यह है कि वाराणसी में 365 दिन के शैक्षणिक सत्र में पढ़ाई सिर्फ 180 दिन ही हो पा रही है। शेष दिनों में 80 दिन अवकाश में बीत जाते हैं। इसके अलावा करीब 100 दिन विभिन्न कार्यक्रमों और खेलकूद प्रतियोगिताओं में बच्चों और शिक्षकों का समय बीत रहा है।
हर साल सितंबर के बाद से माध्यमिक विद्यालयों में बोर्ड परीक्षा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। वहीं बेसिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भी छमाही, वार्षिक और प्रैक्टिकल परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाता है। शैक्षणिक सत्र इस तरह बनाया जाता है कि पूरे साल कोर्स के अनुसार पढ़ाई कराई जा सके, लेकिन इन दिनों सत्र के अनुसार पढ़ाई नहीं हो पा रही है। मौजूदा समय में बच्चों पर कोर्स पूरा करने का अतिरिक्त दबाव है। इसका कारण साल भर होने वाली विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता है।
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शिक्षक तैयारी कराने में परेशानजिले के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों ने बताया कि पूरे साल होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए बच्चों को तैयार करना पड़ता है, जिसमें अतिरिक्त समय लग जाता है। इसके अलावा प्रतियोगिताओं के दौरान भी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती। शिक्षकों के अनुसार प्रतियोगिताओं की संख्या अधिक होने के कारण बच्चों का बड़ा समय इसी में चला जाता है।
साल भर में खेल व सांस्कृतिक 6 से अधिक कार्यक्रम
पूरे सत्र में छात्रों के लिए खेल और सांस्कृतिक मिलाकर छह से अधिक प्रतियोगिताएं कराई जा रही हैं। इनमें काशी सांसद पेंटिंग प्रतियोगिता से लेकर सांस्कृतिक महोत्सव, खेलकूद प्रतियोगिता, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, ज्ञान प्रतियोगिता आदि शामिल हैं। इनमें छात्र बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
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अधिकतम विद्यालयों में कोर्स पूरे नहीं
जिले के 1143 बेसिक विद्यालयों के साथ ही माध्यमिक विद्यालयों में छमाही और प्री-बोर्ड परीक्षाएं इसी महीने से शुरू होंगी। इनमें से अधिकतर विद्यालयों में कोर्स पूरे नहीं हो पाए हैं। एक तरफ शिक्षकों की एसआईआर में लगी ड्यूटी और दूसरी ओर छात्रों की प्रतियोगिताओं में व्यस्तता इसके प्रमुख कारण हैं।
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- जिले में बेसिक विद्यालयों की संख्या- 1143
- जिले में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की संख्या- 40
- जिले में एडेड विद्यालयों की संख्या- 106
- जिले में निजी विद्यालयों की संख्या- 258
क्या बोले अधिकारी
नई शिक्षा नीति के तहत खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिताएं कराई जा रही हैं। शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि जहां भी कोर्स पूरा नहीं हुआ है या कोई दिक्कत आ रही है, वहां अतिरिक्त कक्षाएं चलाई जाएं। किसी भी हाल में शिक्षा से खिलवाड़ नहीं होगा।
-भोलेंद्र प्रताप सिंह, डीआईओएस
