Kashi Vishwanath: बाबा के स्पर्श बेलपत्र की पांच रुपये में बिक्री, भक्तों के विरोध के बाद रोक
काशीपुराधिपति के कैलेंडर और डायरी के साथ ही मंदिर प्रशासन ने बाबा को स्पर्श कराए गए बेलपत्र की बिक्री शुरू करा दी। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पैकेट पर पांच रुपये में बिकने वाले बेलपत्र के लिफाफे पर बाकायदा बाबा विश्वनाथ जी को अर्पित बेलपत्र लिखा हुआ है।
विस्तार
काशी विश्वनाथ धाम में आय बढ़ाने की होड़ में जुटे अधिकारियों की लापरवाही से मंगलवार को एक बार फिर मंदिर प्रशासन की किरकिरी हुई। काशीपुराधिपति के कैलेंडर और डायरी के साथ ही मंदिर प्रशासन ने बाबा को स्पर्श कराए गए बेलपत्र की बिक्री शुरू करा दी। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पैकेट पर पांच रुपये में बिकने वाले बेलपत्र के लिफाफे पर बाकायदा बाबा विश्वनाथ जी को अर्पित बेलपत्र लिखा हुआ है। मंदिर परिसर और हेल्प डेस्क पर बेलपत्र पर श्रद्धालुओं ने नाराजगी जताई।
न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने भी इस पूरे प्रकरण पर नाराजगी जताई और खुद को इस निर्णय से अलग करते हुए बिक्री पर तत्काल रोक लगवाई। उधर, मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने सफाई दी कि पैकेट पर गलत प्रिंट हो गया। दरअसल, बेल प्रसाद की जगह बेलपत्र प्रिंट हो गया। आनन फानन में मंगलवार को इसकी बिक्री रोकने के साथ ही पोस्टर को भी हटवा दिया गया।
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस वर्ष से कैलेंडर और डायरी की बिक्री करने का निर्णय किया। इसी के साथ मंदिर प्रशासन ने न्यास की जानकारी के बिना ही बाबा को स्पर्श कराए बेलपत्र की पांच रुपये में पैकेज्ड बिक्री शुरू कर दी गई। गेट नंबर चार के पास काउंटर लगाकर काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के लिफाफे में बेलपत्र की कराई जा बिक्री पर भक्तों ने विरोध भी दर्ज कराया। बिक्री की रसीद और लिफाफे की जानकारी पर न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने अधिकारियों से वार्ता कर इसे तत्काल रोकने के लिए कहा।
बेलपत्र का एक पैकेट और उसके खरीदने की रसीद मुझे दिखाई गई। मैं स्पष्ट रूप से यह कह सकता हूं कि ऐसा नहीं होना चाहिए। श्रद्धा के साथ भगवान को अर्पित किए जाने वाला बेलपत्र भक्तों में निशुल्क वितरित किया जाना चाहिए। इससे श्रद्धा के साथ मंदिर में साफ-सफाई की समस्या का भी समाधान होगा। - प्रो. नागेंद्र पांडेय, अध्यक्ष, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास
बेलपत्र की बिक्री नहीं थी, बल्कि वह बेल प्रसाद है। इसमें बेल सहित अन्य सामग्रियां हैं। लिफाफे पर प्रिंट गलत हो गया था और इसी वजह से गलतफहमी हो गई। - डाॅ. सुनील वर्मा, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, काशी विश्वनाथ मंदिर
