सुसाइड मामला: लंबे समय से अवसाद में थे डॉ. आदित्य मणि मिश्र, पिता ने बताया बंद रहता था मोबाइल

जौनपुर के पूविवि के रज्जू भइया संस्थान में तैनात गणित के विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य मणि मिश्र (34) की आत्महत्या के पीछे पारिवारिक विवाद सामने आया है। विवाद के कारण ही वह लगातार अवसाद में थे। पिता ने बताया कि आदित्य ने लंबे समय से अपना मोबाइल भी बंद कर रखा था।

नंबर तभी ऑन होता था, जब उन्हें किसी से बात करनी होती थी। अवसाद के शिकार डॉ. आदित्य के स्वभाव में भी काफी बदलाव हो गया था। वह हमेशा गुुमशुम रहते थे और अकेलेे में ही रहना पसंद करते थे। सोमवार की देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।

रायबरेली के दरियापुर निवासी डॉ. आदित्य मणि इसी वर्ष जनवरी में रज्जू भइया संस्थान में तैनात हुए थे। रविवार की देर शाम उनका शव विवि परिसर स्थित शिक्षक आवास के सी-ब्लाक के फ्लैट नंबर दो में पंखे से लटकता पाया गया था।
सूचना पाकर देर रात उनके पिता रामखेलावन, भांजा हिमांशु, शुभम और देवता यादव मौके पर पहुंच गए। पिता रामखेलावन ने बताया कि आदित्य का विवाह वर्ष 2005 में कम उम्र में ही कुंडा के फूलमति गांव निवासी मीनाक्षी से कर दिया गया था। वर्ष 2012 में गौना हुआ था। उन्हेें एक तीन वर्ष की पुत्री भी है। स्नातक तक पढ़ी मीनाक्षी घर पर रहती हैं।
पति-पत्नी में अक्सर किसी बात पर विवाद होता रहता था। इस कारण आदित्य घर पर कम फोन करते थे। लंबे समय से खुद पिता की भी उनसे बात नहीं हुई थी। पिता के मुताबिक आदित्य का फोन अक्सर बंद रहता था। वह तभी फोन चालू करते थे, जब उन्हें खुद कहीं बात करना होता था। पिछले कुछ महीनों से स्वभाव में लगातार बदलाव हो रहा था। उनका घर आना-जाना भी कम था।
पिता के बयान के बाद पुलिस ने मामले को आत्महत्या मानते हुए पंचनामा कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव को घर ले जाया गया। पुलिस ने आदित्य का लैपटॉप और मोबाइल भी सील कर जांच के लिए रख लिया है।
एसओ सुधीर कुमार आर्य ने बताया कि जांच के बाद आत्महत्या की बात स्पष्ट हुई। फारेंसिक टीम ने भी रात में छानबीन कर ऐसा ही अंदेशा जताया था। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार है।