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काली मठ में संगीत महोत्सव: भरत शर्मा के गीतों से सजी पहली निशा, कई कलाकारों ने देर रात तक लगाई हाजिरी

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Tue, 16 Sep 2025 11:28 AM IST
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सार

प्राचीन कालीमठ में तीन दिवसीय शृंगार व संगीत महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस दौरान भरत शर्मा व्यास के भोजपुरी गीतों से पहली निशा सजी। जवने गांव काली माई के मंदिर नाही बा उ गांव बेकार बा... और निमिया के डार मैया डालेली झूलनवा... की शुरुआत की तो पूरा प्रांगण झंकृत हो उठा।

Bhojpuri songs by Bharat Sharma Vyas attractive in music festival at Kali Math varanasi
गायन प्रस्तुत करते भरत शर्मा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भोजपुरी सम्राट भरत शर्मा व्यास ने देवी गीतों से मां काली के चरणों को पखारा। उन्होंने जीभ लटकल होई मुंड के माला, देखिह भवानी माई रूप होई काला... से शुरुआत की तो श्रोता भी उनके सुर से सुर मिलाने लगे। इसके बाद जवने गांव काली माई के मंदिर नाही बा उ गांव बेकार बा... के बाद निमिया के डार मैया डालेली झूलनवा... की शुरुआत की तो पूरा प्रांगण झंकृत हो उठा।

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सोमवार को लक्सा लक्ष्मीकुंड स्थित प्राचीन काली मठ में 16 दिवसीय अनुष्ठान मेले के समापन अवसर पर मां काली का तीन दिवसीय भव्य शृंगार व संगीत महोत्सव आरंभ हुआ। महोत्सव की प्रथम निशा में मां काली को पंचामृत स्नान कराया गया। माता को नूतन वस्त्र आभूषण से शृंगारित कर फूलों से शृंगार महंत पं. ठाकुर प्रसाद दुबे ने किया। 11 वैदिक ब्राह्मणों ने वैदिक मंगलाचरण का पाठ किया। 
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मुख्य पुजारी पं. विकास दुबे काका गुरु ने माता की आरती उतारी। शाम को संस्कृति प्रकोष्ठ के संयोजक गीतकार कन्हैया दुबे केडी के संयोजन में पूर्वांचल के सुप्रसिद्ध कलाकारों ने गायन, वादन और नृत्य के साथ संगीत समारोह का शुभारंभ हुआ। पं. जवाहरलाल व साथी कलाकारों ने शहनाई की मंगल ध्वनि से शुरूआत करते हुए देवी गीतों की धुन बजाई।

पं. सुखदेव मिश्र ने वायलिन, डॉ. सत्यवर प्रसाद ने मृदंगम, अमरेंद्र मिश्र ने सितार, श्रीकांत मिश्रा ने तबले के साथ युगलबंदी करते हुए सवाल-जवाब के साथ ही दक्षिण और पूरब के धुनों को वाद्य यंत्र से बजाते हुए ताल वाद्य कचहरी की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। इसके बाद पं. माता प्रसाद मिश्रा और पं. रुद्रशंकर मिश्रा ने कथक के भाव को सजाते हुए या देवी सर्वभूतेषु..., जय जय जग जननि भवानी... से देवी स्तुति पर कथक के भाव सजाते हुए तीन ताल में टुकड़ा, तिहाई, परन और घोड़े की चाल से मां के दरबार में हाजिरी लगाई। तबले पर उदय शंकर मिश्र, गायन व हारमोनियम पर शक्ति मिश्रा ने सहयोग किया।

देवी गीतों के क्रम में लोक गायिका ज्योति माही ने है काली मां तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा..., गीतांजलि मौर्य ने जय जगदंबे जय मां काली..., राजेश तिवारी रतन ने महाकाल के काल भईल..., उजाला विश्वकर्मा ने झूला झूले मोर मयरिया काली मैया ना.... सहित कलाकारों ने अनेक देवी गीत प्रस्तुत किए। अदिति शर्मा ने महिषासुर मर्दिनी भाव नृत्य प्रस्तुत किया। 

देर रात्रि तक अन्य कलाकारों में कुमार विनीत पारुल नंदा सृष्टि शर्मा ने सुमधुर भजनों से अपनी हाजिरी लगाई। तबले पर सुधांशु राजपूत, ढोलक पर मोती शर्मा व विशाल शर्मा, बेंजो पर जियाराम, पैड पर शेखर विवेक, कीबोर्ड पर नीरज पांडे ने संगत की। कलाकारों का स्वागत स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्रम, प्रसाद देकर महेश पांडेय, रवि पांडेय गुड्डू, विनोद कुमार उन्नी, जितेंद्र प्रजापति, पारस यादव ने किया।  

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