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वाराणसी में आखिरकार बनने लगा रिंग रोड, एक साल तक चला प्रशासन और किसानों में नोंकझोंक
ब्यूरो,अमर उजाला,वाराणसी
Updated Fri, 28 Apr 2017 12:08 AM IST
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संदहा में नारियल फोड़कर काम शुरू करा दिया गया
- फोटो : अमर उजाला
एक साल के अंतराल के बाद गुरुवार को आखिरकार संदहा और फरीदपुर के बीच रिंग रोड का कार्य शुरू हो गया। इससे पहले रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों और जिला प्रशासन के बीच रायफल क्लब में हुई बैठक में काम शुरू करने पर सहमति बन गई।
उधर, प्रभावित किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान न्याय मोर्चा के संयोजक एडवोकेट महेंद्र यादव ने दावा किया कि रिंग रोड के बारे में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
बैठक में मौजूद किसानों ने मांग रखी कि उन्हें एक जनवरी 2014 से लागू सर्किल रेट के बजाय वर्तमान सर्किल रेट के हिसाब से चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाए। इस पर प्रशासन ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा। इस पर किसानों ने प्रशासन का सहयोग करने को राजी हो गए। इसके थोड़ी देर बाद संदहा में नारियल फोड़कर काम शुरू करा दिया गया।
बीते 16 अप्रैल, 2016 से रिंग रोड का निर्माण कार्य बंद था। किसान संदहा से हरिहरपुर तक निर्माण कार्य का बराबर विरोध कर रहे थे।
इस दौरान कई बार प्रशासन और किसानों के बीच नोंकझोंक हुई। हाल ही में डीएम योगेश्वर राम मिश्र के निर्देश पर एडीएम प्रशासन मुनींद्र नाथ उपाध्याय ने किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था।
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर एसपी सिंह ने कहा कि रिंग रोड पर काम शुरू करा दिया गया। फेज वन में 14 गांवों के 2200 किसान प्रभावित हैं। किसानों को नियमानुसार मुआवजा अभियान चलाकर बांटा जाएगा। इस दौरान वयोवृद्ध किसानों को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
किसानों के विरोध की आशंका को देखते हुए एसडीएम सदर सुशील गौड़, तहसीलदार सदर विनय राय, नायब तहसीलदार शिवपुर अरुणिमा, एनएचएआई के केसी वर्मा, राजेश राय के अलावा राजस्व निरीक्षक और क्षेत्रीय लेखपाल भी उपस्थित रहे।
कई किसानों का मामला लंबित
संदहा गांव के किसान हृदय नारायण सिंह की 22 बिस्वा जमीन रिंग रोड में चली गई है, जिसका न तो एवार्ड घोषित हुआ और नहीं रजिस्ट्री हुई है। इसके चलते उन्हें मुआवजा भी नहीं मिला। अधिकारियों ने माना कि ऐसी समस्या कई और गांवों में भी है। इनका निस्तारण कर किसानों को मुआवजा जल्द दिलाया जाएगा।
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उधर, प्रभावित किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान न्याय मोर्चा के संयोजक एडवोकेट महेंद्र यादव ने दावा किया कि रिंग रोड के बारे में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
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बैठक में मौजूद किसानों ने मांग रखी कि उन्हें एक जनवरी 2014 से लागू सर्किल रेट के बजाय वर्तमान सर्किल रेट के हिसाब से चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाए। इस पर प्रशासन ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा। इस पर किसानों ने प्रशासन का सहयोग करने को राजी हो गए। इसके थोड़ी देर बाद संदहा में नारियल फोड़कर काम शुरू करा दिया गया।
बीते 16 अप्रैल, 2016 से रिंग रोड का निर्माण कार्य बंद था। किसान संदहा से हरिहरपुर तक निर्माण कार्य का बराबर विरोध कर रहे थे।
इस दौरान कई बार प्रशासन और किसानों के बीच नोंकझोंक हुई। हाल ही में डीएम योगेश्वर राम मिश्र के निर्देश पर एडीएम प्रशासन मुनींद्र नाथ उपाध्याय ने किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था।
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर एसपी सिंह ने कहा कि रिंग रोड पर काम शुरू करा दिया गया। फेज वन में 14 गांवों के 2200 किसान प्रभावित हैं। किसानों को नियमानुसार मुआवजा अभियान चलाकर बांटा जाएगा। इस दौरान वयोवृद्ध किसानों को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
किसानों के विरोध की आशंका को देखते हुए एसडीएम सदर सुशील गौड़, तहसीलदार सदर विनय राय, नायब तहसीलदार शिवपुर अरुणिमा, एनएचएआई के केसी वर्मा, राजेश राय के अलावा राजस्व निरीक्षक और क्षेत्रीय लेखपाल भी उपस्थित रहे।
कई किसानों का मामला लंबित
संदहा गांव के किसान हृदय नारायण सिंह की 22 बिस्वा जमीन रिंग रोड में चली गई है, जिसका न तो एवार्ड घोषित हुआ और नहीं रजिस्ट्री हुई है। इसके चलते उन्हें मुआवजा भी नहीं मिला। अधिकारियों ने माना कि ऐसी समस्या कई और गांवों में भी है। इनका निस्तारण कर किसानों को मुआवजा जल्द दिलाया जाएगा।
गेंद सरकार के पाले में डालने की तैयारी

ट्रांसपोर्ट नगर की खराब सड़क
- फोटो : Amar Ujala
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) डेढ़ दशक से लटकी ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लेकर अंतिम फैसला लेने के मूड में आ गया है। वीडीए चाहता है कि या तो योजना मूर्त रूप ले ले या फिर उसे इस पूरे मामले से निजात मिल जाए।
गुरुवार को वीसी पुलकित खरे ने इस मामले में अधीनस्थों संग बैठक कर पावर प्वाइंट प्रजेंटेंशन के जरिए मंथन किया और पूरी जानकारी ली।
बैठक में तीन विकल्पों पर चर्चा हुई। विचार किया गया कि योजना को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए या फिर शासन से मदद लेकर इसे परवान चढ़ाया जाए अथवा अधिग्रहीत की गई जमीन आवास-विकास, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को दे दी जाए।
इसके लिए जो धनराशि मुआवजे के रूप में खर्च की जा चुकी हैं, वह उसे वापस मिल जाएगी। यानी शासन से धन मिला तो योजना मूर्त रूप लेगी नहीं तो फिर बंद हो जाएगी। तय किया गया कि शासन को पत्र भेज कर तीनों विकल्पों पर सुझाव मांगा जाएगा।
बता दें कि वीडीए मुआवजे के रूप में 38 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। किसानों की मांग माने जाने पर नए सर्किल रेट के आधार पर वीडीए को उन्हें मुआवजे के तौर पर 885 करोड़ रुपये देने होंगे। वीडीए के पास इतनी धनराशि है नहीं जिससे कि वह किसानों को चार गुना मुआवजा दे सके।
गुरुवार को वीसी पुलकित खरे ने इस मामले में अधीनस्थों संग बैठक कर पावर प्वाइंट प्रजेंटेंशन के जरिए मंथन किया और पूरी जानकारी ली।
बैठक में तीन विकल्पों पर चर्चा हुई। विचार किया गया कि योजना को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए या फिर शासन से मदद लेकर इसे परवान चढ़ाया जाए अथवा अधिग्रहीत की गई जमीन आवास-विकास, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को दे दी जाए।
इसके लिए जो धनराशि मुआवजे के रूप में खर्च की जा चुकी हैं, वह उसे वापस मिल जाएगी। यानी शासन से धन मिला तो योजना मूर्त रूप लेगी नहीं तो फिर बंद हो जाएगी। तय किया गया कि शासन को पत्र भेज कर तीनों विकल्पों पर सुझाव मांगा जाएगा।
बता दें कि वीडीए मुआवजे के रूप में 38 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। किसानों की मांग माने जाने पर नए सर्किल रेट के आधार पर वीडीए को उन्हें मुआवजे के तौर पर 885 करोड़ रुपये देने होंगे। वीडीए के पास इतनी धनराशि है नहीं जिससे कि वह किसानों को चार गुना मुआवजा दे सके।