ब्यूरो,अमर उजाला,वाराणसी/इलाहाबाद
Updated Tue, 21 Feb 2017 05:12 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से कहा है कि वाराणसी में रिंग रोड बनाने के रास्ते में कोई अड़चन नहीं हैं इसलिए रोड का निर्माण जारी रखा जाए।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में एक मात्र विवाद मुआवजा के भुगतान का है। मुआवजा 2013 के नए भूमि अधिग्रहण कानून पर दिया जाए या पुराने नियम से, इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार और अथॉरिटी से जवाब मांगा है।
एनएचआई के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने बताया कि रिंग रोड निर्माण के लिए 1994 के एक्ट के तहत 2002 में अधिसूचना जारी की गई थी। इसका अवार्ड 2015 में घोषित किया गया।
कहा गया कि संशोधित भूमि अधिग्रहण कानून 2013 एक जनवरी 2014 से प्रभावी हो गया है इसलिए जमीन का मुआवजा नए कानून के तहत मिलना चाहिए।
नेशनल हाई-वे अथॉरिटी का कहना था कि उसने नए कानून के तहत मुआवजे की राशि जमा कर दी है इसके बावजूद उसे रिंग रोड के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा रही है। कोर्ट ने अथॉरिटी से कहा है कि रिंग रोड के निर्माण में कोई बाधा नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से कहा है कि वाराणसी में रिंग रोड बनाने के रास्ते में कोई अड़चन नहीं हैं इसलिए रोड का निर्माण जारी रखा जाए।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में एक मात्र विवाद मुआवजा के भुगतान का है। मुआवजा 2013 के नए भूमि अधिग्रहण कानून पर दिया जाए या पुराने नियम से, इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार और अथॉरिटी से जवाब मांगा है।
एनएचआई के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने बताया कि रिंग रोड निर्माण के लिए 1994 के एक्ट के तहत 2002 में अधिसूचना जारी की गई थी। इसका अवार्ड 2015 में घोषित किया गया।
कहा गया कि संशोधित भूमि अधिग्रहण कानून 2013 एक जनवरी 2014 से प्रभावी हो गया है इसलिए जमीन का मुआवजा नए कानून के तहत मिलना चाहिए।
नेशनल हाई-वे अथॉरिटी का कहना था कि उसने नए कानून के तहत मुआवजे की राशि जमा कर दी है इसके बावजूद उसे रिंग रोड के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा रही है। कोर्ट ने अथॉरिटी से कहा है कि रिंग रोड के निर्माण में कोई बाधा नहीं है।