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Pithoragarh News: बूढ़ी बसों पर दौड़ रहीं पहाड़ की सवारियां
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Thu, 20 Nov 2025 10:49 PM IST
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पिथौरागढ़ में रोडवेज वर्कशॉप में खराबी आने से खड़ीं बसें। संवाद
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पिथौरागढ़। सीमांत जिले में रोडवेज सेवा बेहतर होने के बजाय बदहाल होती जा रही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य गठन से पूर्व पिथौरागढ़ डिपो से 120 बसों का संचालन होता था। अब इनकी संख्या सिर्फ 84 रह गई हैं। 25 बसें अपनी उम्र पार चुकी हैं जो कभी भी साथ छोड़ सकती हैं। यदि इन बसों ने साथ छोड़ा तो यात्रियों के लिए परेशानी हो जाएगी।
पिथौरागढ़ डिपो के मुताबिक, राज्य गठन तक दिल्ली, देहरादून, बरेली, लखनऊ, टनकपुर, हल्द्वानी सहित जिले के आंतरिक रूटों पर 120 बसों का संचालन होता था। पसमा, भागीचौरा, पीपली, झूलाघाट, बंगापानी, मदकोट, थल, मुवानी सहित अन्य कस्बों तक सीधी बस सेवाओं का संचालन होने से यात्रियों को सहूलियत मिलती थी। राज्य गठन के बाद बसों का बेड़ा बढ़ने के बजाय कम हो गया और वर्तमान में सिर्फ 84 बसें डिपो के पास हैं।
बसों की संख्या कम हुई तो डिपो ने पसमा, भागीचौरा, पीपली, मदकोट और मुवानी रूट पर बसों का संचालन बंद कर दिया जिससे की बड़ी आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सीमित बसों का संचालन होने से यात्रियों को इसकी मार सहनी पड़ रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बस संचालित न होने से यात्री टैक्सी के सहारे सफर करने के लिए मजबूर हैं। हर बार बंद रूटों पर बस संचालन की मांग होती है लेकिन इस मांग पर अब तक सुनवाई नहीं हुई है।
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10 बसें वर्कशॉप में हो गईं हैं खड़ीं
पिथौरागढ़ डिपो के बेड़े में शामिल 25 बसें अपनी उम्र पार कर चुकी हैं। नियमों के मुताबिक खरीद के सात साल या सात लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुकीं इन बसों को पहाड़ी सड़कों पर नहीं दौड़ाया जा सकता। डिपो को नई बसें न मिलने से इन बूढ़ी बसों का संचालन करना मजबूरी बन गया है जो आए दिन खराब होकर यात्रियों को रास्तों पर धोखा दे रही हैं। वहीं, 10 बसों में खराबी आने से ये वर्कशॉप में खड़ी हो गईं हैं। यदि इसी तरह बसों में खराबी आती रही और ये चलन से बाहर होती रहीं तो इसकी सीधी मार यात्रियों को सहनी होगी।
कोट
निश्चित तौर पर डिपो को नई बसों की जरूरत है। पुरानी बसों की समय-समय पर फिटनेस होती है। खराबी दूर कर इनका संचालन किया जाता है। डिपो यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। जल्द ही बसों की खराबी को दूर किया जाएगा। - दीपक ज्याला, फोरमैन, पिथौरागढ़ डिपो
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बसों की संख्या कम हुई तो डिपो ने पसमा, भागीचौरा, पीपली, मदकोट और मुवानी रूट पर बसों का संचालन बंद कर दिया जिससे की बड़ी आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सीमित बसों का संचालन होने से यात्रियों को इसकी मार सहनी पड़ रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बस संचालित न होने से यात्री टैक्सी के सहारे सफर करने के लिए मजबूर हैं। हर बार बंद रूटों पर बस संचालन की मांग होती है लेकिन इस मांग पर अब तक सुनवाई नहीं हुई है।
10 बसें वर्कशॉप में हो गईं हैं खड़ीं
पिथौरागढ़ डिपो के बेड़े में शामिल 25 बसें अपनी उम्र पार कर चुकी हैं। नियमों के मुताबिक खरीद के सात साल या सात लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुकीं इन बसों को पहाड़ी सड़कों पर नहीं दौड़ाया जा सकता। डिपो को नई बसें न मिलने से इन बूढ़ी बसों का संचालन करना मजबूरी बन गया है जो आए दिन खराब होकर यात्रियों को रास्तों पर धोखा दे रही हैं। वहीं, 10 बसों में खराबी आने से ये वर्कशॉप में खड़ी हो गईं हैं। यदि इसी तरह बसों में खराबी आती रही और ये चलन से बाहर होती रहीं तो इसकी सीधी मार यात्रियों को सहनी होगी।
कोट
निश्चित तौर पर डिपो को नई बसों की जरूरत है। पुरानी बसों की समय-समय पर फिटनेस होती है। खराबी दूर कर इनका संचालन किया जाता है। डिपो यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। जल्द ही बसों की खराबी को दूर किया जाएगा। - दीपक ज्याला, फोरमैन, पिथौरागढ़ डिपो