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भाटापारा में खाद की किल्लत से परेशान किसान, महंगे दामों में खरीदने को मजबूर, विधायक का सरकार पर हमला
प्रदेशभर के किसानों को इस खरीफ सीजन में डीएपी और यूरिया खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी सहकारी समितियों में खाद की रेक अब तक नहीं पहुंच पाई है, जबकि निजी कृषि केंद्रों और दवा दुकानों में भरपूर स्टॉक उपलब्ध है। इससे किसानों को मजबूरी में सरकारी दर ₹1350 की बजाय ₹1750 प्रति बैग की ऊंची कीमतों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
जैसे-जैसे मानसून करीब आ रहा है, किसानों द्वारा खाद और बीज का भंडारण तेजी से किया जा रहा है, जिसका सीधा लाभ निजी व्यापारियों को मिल रहा है। इस विकट स्थिति को गंभीरता से लेते हुए बलौदाबाजार कलेक्टर दीपक सोनी ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि खाद की अधिक मांग वाली समितियों में प्राथमिकता के आधार पर डीएपी और बीज का भंडारण सुनिश्चित किया जाए। साथ ही किसानों को एनपीके और अन्य विकल्पों के उपयोग के प्रति जागरूक किया जाए।
कलेक्टर ने बताया कि खरीफ सीजन 2025 के लिए जिले का उर्वरक लक्ष्य 58,136 मीट्रिक टन है, जिसमें से अब तक 32,724 मीट्रिक टन उर्वरक का भंडारण और 22,690 मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है। शीघ्र ही 300 मीट्रिक टन डीएपी खाद की रेक जिले में पहुंचने वाली है, जिसे समितियों में मांग के अनुसार वितरित किया जाएगा। साथ ही प्रत्येक समिति के लिए लक्ष्य निर्धारण कर भंडारण व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। इस मुद्दे पर भाटापारा विधायक इन्द्र साव से फोन पर बात की गई तो उन्होंने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “सरकार नहीं चाहती कि किसान अधिक धान उत्पादन करें, ताकि उसे अधिक मात्रा में समर्थन मूल्य पर खरीदना न पड़े।” उन्होंने खाद संकट को सरकार की किसान विरोधी नीति करार दिया और कहा कि यह स्थिति सीधे तौर पर अन्नदाता के हितों के खिलाफ है। खाद संकट की इस स्थिति में जहां किसान बेहाल हैं, वहीं प्रशासन वितरण व्यवस्था को सुधारने में जुटा है। देखना यह होगा कि प्रशासन की पहल कितनी कारगर होती है और किसान राहत महसूस कर पाते हैं या नहीं।
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