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VIDEO : Acharya explained various incidents in the Shrimad Bhagwat Katha organized in Geeta Bhawan premises in Charkhi Dadri
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VIDEO : चरखी दादरी में गीता भवन परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य ने की विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या
चरखी दादरी में गीता भवन सभागार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक आचार्य श्रीकृष्ण रेणू ने भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई।
कथा वाचक ने बताया कि रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण को मन, वचन और कर्म से अपना पति मान चुकी थी। उन्होंने श्रीकृष्ण के गुणों से प्रभावित होकर उन्हें पत्र लिखकर अपनी व्यथा सुनाई और विवाह के लिए प्रार्थना की। रुक्मिणी के इस संदेश पर श्रीकृष्ण ने तत्काल निर्णय लिया और रुक्मिणी का हरण कर उनका विवाह किया।
आचार्या ने बताया कि सच्चे प्रेम, समर्पण और धर्म का मार्ग ही मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ ही भौमासुर राक्षस के अत्याचार की कथा सुनाई गई। आचार्या ने बताया कि भौमासुर ने 16,100 कन्याओं को कैद कर रखा था। उसने प्रतिज्ञा की थी कि वह तब तक विवाह नहीं करेगा जब तक उसकी संख्या एक लाख न हो जाए। इन कन्याओं की प्रार्थना पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनका उद्धार किया और सामाजिक मान-सम्मान की रक्षा के लिए उन सभी से विवाह किया। यह प्रसंग भगवान श्रीकृष्ण के करुणा, कर्तव्य और आदर्शों को दर्शाता है। कथा वाचक ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे जीवन में सेवा, दान, भक्ति और संतों के प्रति आदर का भाव बनाए रखें। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य दीन-दुखियों की मदद करना, गोसेवा और तीर्थाटन करना होना चाहिए। आचार्या श्रीकृष्ण रेणू ने बताया कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां हैं। यही कारण है कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। इस अवसर पर अधिवक्ता ईश्वरचंद्र, गंगाराम, मुकेश, प्रीतम सिंह आदि मौजूद रहे।
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