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चरखी दादरी: पारंपरिक सूती रुई से बने रजाई और गद्दों की गर्माहट हुई कम, आधुनिकता की चमक में कंबल
सर्दी से बचाव के लिए लोग जहां कुछ वर्ष पहले तक सूती रुई से भरी रजाई व गद्दों का इस्तेमाल करते थे लेकिन आधुनिकता की चमक ने इनका स्थान कंबलों ने ले लिया है। करीब पांच वर्ष पहले तक शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रजाई भरने व रुई की पिनाई करने के लिए कारीगर अस्थाई तौर पर मशीनें लगाते थें। जहां महिलाएं रजाईयों में धागा डालने का काम करती थीं। लेकिन अब बाजारों में हर तरफ पॉलिएस्टर या मिंक के कंबल नजर आ रहे हैं। जिससे रजाई भरने व रुई की पिनाई करने वाले कारीगरों के सामने रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं।
मौजूदा समय में कंबलों के प्रचलन में आने के कारण लोग पारंपरिक रुई से बनी रजाईयों से दूरी बना रहे हैं। हालात ये हो गए हैं कि पहले जहां लोगों को रजाई भरवाने के लिए इंतजार करना पड़ता था लेकिन अब कारीगर खाली बैठे रहते हैं। काफी कम ग्राहक ही रजाई, गद्दे आदि भरवाने के लिए आते हैं।
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