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VIDEO : In Jind, the United Kisan Morcha took out a tractor march in Narwana, hundreds of tractors participated
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VIDEO : जींद में संयुक्त किसान मोर्चा ने नरवाना में निकाला ट्रैक्टर मार्च, सैंकड़ों ट्रैक्टर हुए शामिल
संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा मास्टर बलबीर सिंह राज्य अध्यक्ष अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा के नेतृत्व में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के अवसर पर उपमंडल नरवाना के प्रत्येक गांव से ट्रैक्टर मार्च में सैकड़ों किसानों ने ट्रैक्टरों के साथ भाग लिया। नरवाना के लघु सचिवालय से ट्रैक्टर मार्च की शुरुआत की गई और शहर के बीच से होते हुए वापिस लघु सचिवालय में मार्च का समापन किया गया।
मास्टर बलबीर सिंह ने कहा NPFAM को तीन काले कृषि कानूनों का संयुक्त किसान मोर्चा रद्द कराने के लिए पूरी ताकत से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर सांसद कार्यालयों के समक्ष जनप्रतिनिधिमंडल का आयोजन किया जाएगा। NPFAM की वापसी, सभी फसलों के लिए C2+50% फॉर्मूले पर MSP की कानूनी गारंटी, सभी किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए कर्ज माफी, और 9 दिसंबर 2021 की लंबित मांगों को पूरा करने की मांग की जाएगी। बलबीर ने कहा कि इस नीति को सरकारी मंडियों पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि सरकार मंडियों का निजीकरण करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) और कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने की साजिश रच रही है। यह नीति स्थानीय ग्रामीण मंडियों को एफपीओ (FPOs), ई-नाम (eNAM) और ठेका खेती (Contract Farming) के माध्यम से बड़े कृषि प्रोसेसिंग उद्योगों के लिए सस्ते कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की चाल है। साथ ही, यह खेती को फ्यूचर ट्रेड और शेयर मार्केट से जोड़ने की कोशिश कर रही है। यह सब डब्ल्यूटीओ (WTO) और वर्ल्ड बैंक (World Bank) की सिफारिशों के अनुरूप किया जा रहा है।
उन्होंने कहा NPFAM में MSP की घोषणा, सरकारी खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए खाद्यान्न भंडारण का कोई प्रावधान नहीं है। यह केवल बफर स्टॉक तक सीमित है, जो किसानों के हितों के खिलाफ एक बड़ी साजिश है। संयुक्त किसान ने घोषणा की है कि 5 मार्च 2025 से सभी राज्यों में पक्के मोर्चे स्थापित किए जाएंगे और राज्य विधानसभाओं से NPFAM को खारिज करने के प्रस्ताव पारित कराने की मांग की जाएगी। SKM राज्यों के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर विधानसभाओं का विशेष सत्र बुलाने और प्रस्ताव पारित करने की मांग करेगा। SKM ने स्पष्ट किया कि अगर कोई राज्य सरकार इस अनुरोध को मानने से इनकार करती है, तो ऐसे राज्यों की राजधानियों, जिलों और उप-मंडलों में किसान पक्के मोर्चे शुरू करेंगे। इसके अलावा, महापंचायतों और सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे ताकि इस नीति के खिलाफ देशभर में जनजागरण किया जा सके। प्रत्येक राज्य की समन्वय समिति इस पर विस्तृत योजना तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 8 और 9 फरवरी 2025 को सांसदों के कार्यालयों/निवास के सामने जनप्रतिनिधिमंडल का आह्वान किया है ताकि सांसदों से आग्रह किया जा सके कि वे किसानों और देश के साथ खड़े हों और उन्हें NPFAM को खारिज करने की आवश्यकता और अन्य मांगों के महत्व को समझाया जा सके।
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