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India Votes in UN: Did India vote against Israel and in favor of Palestine for the first time?
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India Votes in UN: इस्राइल के खिलाफ और फलिस्तीन के पक्ष में भारत ने पहली बार किया वोट?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Sat, 13 Sep 2025 12:24 PM IST
भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जो फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और दो-देश (टू-स्टेट) योजना का समर्थन करता है. इस प्रस्ताव को न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन भी कहते हैं. यह प्रस्ताव फ्रांस ने पेश किया था, जिसे भारत समेत 142 देशों ने समर्थन दिया. 10 देशों ने विरोध में वोट दिया और 12 देश मतदान से दूर रहे. अर्जेंटीना, हंगरी, इजराइल, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया.संयुक्त राष्ट्र में भारत की वोटिंग गाजा पर उसके पहले के रुख से स्पष्ट बदलाव का संकेत देता है. पिछले कुछ साल से भारत युद्धविराम की मांग वाले प्रस्तावों का समर्थन करने से बचती रहा है. भारत ने 3 साल में 4 बार गाजा में युद्धविराम की मांग वाले प्रस्ताव से खुद को अलग रखा है. 7 पन्नों का यह डिक्लेरेशन जुलाई में UN हेडक्वार्टर में हुई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के बाद आया है. कॉन्फ्रेंस की सह-मेजबानी सऊदी अरब और फ्रांस ने की थी, जिसका मकसद दशकों पुराने संघर्ष के समाधान के लिए फिर से बातचीच शुरू करना था.इस घोषणापत्र में 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले की निंदा की गई, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 250 से ज्यादा बंधक बनाए गए.
इसमें गाजा में इजराइल के जवाबी अभियान की भी आलोचना की गई, जिसमें फिलिस्तीनियों की मौत होे रही है और वे भुखमरी का शिकार हो रहे हैं. घोषणापत्र में इजराइली नेताओं से साफ तौर पर दो-राज्य समाधान का समर्थन करने की अपील की गई, जिसमें एक संप्रभु और सक्षम फिलिस्तीनी देश शामिल हो. इसमें इजराइल से फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा को तुरंत रोकने, पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके को हड़पने से रोकने और हिंसा रोकने की अपील की गई है. घोषणापत्र में कहा गया है कि जा फिलिस्तीनी राज्य का एक अहम हिस्सा है और उसे वेस्ट बैंक के साथ जोड़ा जाना चाहिए. वहां कोई कब्जा, घेराबंदी, जमीन पर कब्जा या जबरन पलायन नहीं होना चाहिए.इजराइल ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. इज़राइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मर्मोरस्टीन ने शुक्रवार को X पर लिखा, एक बार फिर साबित हो गया कि UN हकीकत से कटे हुए एक राजनीतिक मंच की तरह है. इस प्रस्ताव में शामिल दर्जनों पॉइंट्स में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि हमास एक आतंकी संगठन है.’वहीं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के मिशन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ‘न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन’ का विरोध करता है.
अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ओर्टागस ने इसे राजनीतिक दिखावा बताया. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर कोई गलतफहमी न हो, यह हमास के लिए एक तोहफा है. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो अगले हफ्ते इस्राइल का दौरा करेंगे। यह दौरा उस समय हो रहा है, जब संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीनी देश के गठन पर बहस होने वाली है, जिसे बेहद विवादास्पद माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) को इस बारे में जानकारी दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच कतर में हमास नेताओं पर इस्राइल के हमले को लेकर तनाव के बावजूद, रुबियो रविवार (स्थानीय समयानुसार) से दो दिवसीय यात्रा पर इस्राइल पहुंचेंगे। दौरे के दौरान वह पूर्वी यरुशलम में एक विवादास्पद पुरातात्विक स्थल का दौरा कर सकते हैं, जिस पर फलस्तीनी भावी देश की राजधानी होने का दावा करते हैं।
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