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Malegaon Blast Case: Why does Mehbooba object to the acquittal of the accused in the Malegaon blast case?
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Malegaon Blast Case: मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपियों के बरी होने पर महबूबा को क्यों है आपत्ति?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Fri, 01 Aug 2025 01:27 AM IST
महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमका मामले में 17 साल बाद फैसला आ गया है. महाराष्ट्र की विशेष NIA कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है. बता दें कि इस धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नल पुरोहित के घर RDX होने के सबूत नहीं मिले हैं. जांच एजेंसी ये बात साबित नहीं कर सकीं. जज ने ये भी कहा है कि जांच एजेंसी ये सिद्ध नहीं कर सकीं कि जिस बाइक में बम रखा गया था वह बाइक प्रज्ञा की थी. प्रज्ञा की बाइक होने का कोई सबूत नहीं मिला है. वाहन प्रज्ञा के कब्जे में था इसका भी सबूत नहीं मिला है. मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट के फैसले पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूूबा मुफ्ती ने कहा कि जिस औरत ने महात्मा गांधी की तस्वीर को गोलियां मारी, जिसने कहा कि गोडसे मेरा गुरु है, उसके लिए बीजेपी के लोग पटाखे छोड़ रहे हैं और लड्डू बांट रहे हैं. जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम ने कहा कि इस वक्त अंबेडकर की जगह गोडसे का संविधान चल रहा है. ये लोग अंबेडकर के संविधान को खत्म कर रहे हैं और गोडसे का कानून चल रहा है. इस वक्त मुल्क में जो रहा है वो गोडसे की विचारधारा के हिसाब से हो रहा है. दुर्भाग्य से बीजेपी जिस तरह से जश्न मना रही है, ऐसे में आप क्या कह सकते हैं. कहीं रूल ऑफ लॉ नहीं है.
शुरू में स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज किया, लेकिन बाद में इसे महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते को सौंपा गया. इस मामले में एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर धर द्विवेदी सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया. आरोप था कि यह एक सुनियोजित आतंकवादी साजिश थी, जिसमें अभिनव भारत जैसे दक्षिणपंथी समूह शामिल थे. जांच में दावा किया गया कि पुरोहित ने RDX खरीदा और विस्फोट की योजना बनाई, जबकि मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी. इसके बाद 2011 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मामले की जांच संभाली और कई आरोप हटाए गए. एनआईए ने पाया कि एटीएस की जांच में खामियां थीं और कई गवाह अपने बयानों से मुकर गए, जिससे मामला विवादास्पद हो गया. मौजूदा वक्त में सात आरोपियों के खिलाफ यूएपीए और आईपीसी की धाराओं में मुकदमा चल रहा था.
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