अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार से उपजे वैश्विक तनाव के बीच भारत और रूस के रिश्तों में नई सरगर्मी देखी जा रही है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की, जिसमें दोनों नेताओं ने मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारत-रूस की ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को और मजबूत करने पर सहमति जताई। यह baatchit ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका ने भारत पर 50% तक अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है और BRICS देश आपसी सहयोग से इस दबाव का समाधान तलाश रहे हैं।वहीं इस बीच विश्व की दो महाशक्तियों के प्रमुख नेताओं के बीच हुए संवाद में यूक्रेन युद्ध और भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई. इस दौरान पीएम मोदी ने शांति के प्रति भारत की नीति को दोहराया.दोनों नेताओं ने मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत-रूस रिश्तों की मजबूती पर सहमति जताई.
दोनों नेताओं ने भारत और रूस के बीच दशकों पुराने भरोसेमंद रिश्तों की सराहना की। रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और व्यापार जैसे क्षेत्रों में चल रहे सहयोग की समीक्षा करते हुए इस साझेदारी को और विस्तार देने पर जोर दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत-रूस संबंध केवल द्विपक्षीय हितों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति को 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया। इस सम्मेलन की तारीखें तय नहीं हुई हैं, लेकिन उम्मीद है कि यह मुलाकात वर्ष 2025 के अंत तक होगी। इससे दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय राजनीतिक संवाद को नया बल मिलेगा और रक्षा सौदों, ऊर्जा करारों व व्यापारिक समझौतों पर प्रगति तेज होगी।खास बात ये है की दोनों नेताओं के बीच की टाइमिंग भी अलग है। मोदी और पुतिन की यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। अमेरिका-रूस संबंध तनावपूर्ण हैं, यूरोप यूक्रेन युद्ध के कारण अस्थिर है, और एशिया में व्यापारिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। ऐसे में भारत और रूस का एक-दूसरे के करीब आना न केवल उनके आपसी हितों के लिए, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी अहम माना जा रहा है।
खैर इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को ब्राजील के राष्ट्रपति का भी फोन आया था लूला दा सिल्वा का फोन आया। यह फोन कॉल इसलिए भी अहम है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और ब्राजील पर लगातार टैरिफ की धमकियों के जरिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कॉल के दौरान प्रधानमंत्री ने पिछले महीने अपनी ब्राजील यात्रा का जिक्र किया। तब दोनों नेताओं ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और लोगों के बीच संबंधों में सहयोग को मजबूत करने की रूपरेखा पर सहमति जताई थी। इन चर्चाओं के आधार पर उन्होंने भारत-ब्राजील रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों नेताओं ने आपसी हित के विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों नेताओं ने संपर्क में बने रहने पर सहमति जताई।
मोदी-पुतिन की यह टेलीफोनिक बातचीत यह साबित करती है कि बदलते भू-राजनीतिक हालात में भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखते हुए बहुपक्षीय सहयोग का मार्ग चुन रहा है। अमेरिका के टैरिफ वार के बीच यह संवाद भारत-रूस साझेदारी के गहरे विश्वास, साझा हितों और आपसी सम्मान का प्रतीक है। आने वाले महीनों में पुतिन की भारत यात्रा, BRICS समन्वय और द्विपक्षीय करार इस साझेदारी को नए मुकाम तक पहुंचा सकते हैं। यह स्पष्ट है कि वैश्विक दबावों के बावजूद, भारत अपने हितों और मूल्यों पर अडिग है — और यही उसकी असली ताकत है।
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