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When trapped in the area were able to contact their families through satellite internet, Army's rescue opera
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आपदा के बाद फंसे लोगों की जब परिजनों से हुई बात, छलक पड़े आंसू
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 08 Aug 2025 11:21 AM IST
उत्तराखंड के धराली और हर्षिल घाटी में आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद भारतीय सेना, वायुसेना, ITBP और NDRF की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में दिन-रात जुटी हैं। फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना हो या राहत सामग्री पहुंचाना, सेना ने हर कदम पर एक ‘जीवनदाता’ की भूमिका निभाई है।
बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने राज्य अधिकारियों के साथ आपदा की समीक्षा बैठक की। NDMA प्रमुख राजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय पूरी तरह से उत्तराखंड के साथ खड़े हैं। उन्होंने बताया कि अगले सप्ताह एक अंतर मंत्रालय टीम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का आकलन करेगी और राहत व पुनर्निर्माण कार्यों की रणनीति तय करेगी।
धराली और हर्षिल घाटी में सड़कों, पुलों और मोबाइल नेटवर्क के ध्वस्त हो जाने से लोग पूरी तरह से दुनिया से कट गए थे। ऐसे में भारतीय सेना की इंजीनियर रेजीमेंट ने सैटेलाइट और रेडियो रिले संचार प्रणाली स्थापित कर लोगों को उनके परिवारों से जोड़ दिया।
अब लोग सेटेलाइट इंटरनेट के जरिए वीडियो कॉल और मैसेज के माध्यम से अपने परिजनों से संपर्क कर पा रहे हैं। यह व्यवस्था सैकड़ों फंसे लोगों के लिए एक मानसिक संबल साबित हो रही है।
हर्षिल-धराली घाटी में जैसे ही आपदा की सूचना मिली, भारतीय वायुसेना ने तत्काल Chinook और Mi-17V5 हेलिकॉप्टरों, साथ ही C-295 और AN-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को रेस्क्यू मिशन में लगा दिया।
• 226 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया
• 130 NDRF, SDRF और आईटीबीपी के जवानों को प्रभावित इलाकों में उतारा गया
• लगभग 20 टन राहत सामग्री को हवाई मार्ग से पहुंचाया गया
IAF की टीमें अभी भी ऑपरेशन मोड में बनी हुई हैं और जरूरत पड़ने पर लगातार उड़ानें जारी हैं।
धराली और मुखवा गांव के बीच बहने वाली भागीरथी नदी पर सेना की इंजीनियर टीम ने तेजी से एक फूटब्रिज (अस्थायी पुल) का निर्माण किया है। यह पुल अब दोनों गांवों के बीच आवागमन का एकमात्र जरिया बन गया है।
इस पुल के जरिए रेस्क्यू टीमें लोगों को निकाल रही हैं और जरूरी दवाइयां, खाना और अन्य मदद पहुंचा रही हैं। BRO (Border Roads Organisation) और सेना के इंजीनियर लगातार पुल की मजबूती और रखरखाव में जुटे हैं।
हर्षिल के ऊपरी क्षेत्र में भारी बारिश और भूस्खलन से जो झील बनी है, उसमें पानी लगातार जमा हो रहा है। इस झील को लेकर खतरे की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि इसके टूटने से नीचे बसे गांवों को और नुकसान हो सकता है।
NDMA के निर्देश पर अब सेना और राज्य एजेंसियों की संयुक्त टीम इस झील की निगरानी करेगी। जल निकासी की रणनीति तैयार की जा रही है, जिससे बिना किसी आपदा के इस जमा पानी को निकाला जा सके।
राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि झील का निरीक्षण किया जा चुका है और फिलहाल उसमें से धीरे-धीरे पानी निकल रहा है।
लखनऊ स्थित NDMA कार्यालय में आयोजित बैठक में सेना, वायुसेना, NDRF, BRO, ITBP और मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में:
• अब तक किए गए राहत कार्यों की समीक्षा की गई
• पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार से मदद के प्रावधानों पर चर्चा हुई
• भविष्य की आपदाओं से निपटने के लिए तैयारियों पर बल दिया गया
NDMA सदस्य सैयद अता हसनैन, एसीईओ प्रशासन आनंद स्वरूप और SEओ क्रियान्वयन राजकुमार नेगी भी बैठक में उपस्थित थे।
धराली आपदा के इस कठिन समय में भारतीय सेना और वायुसेना जनता की ढाल बनकर खड़ी है। मुश्किल हालात में भी जवानों का जज्बा, उनकी तकनीकी क्षमता और त्वरित एक्शन ने एक बार फिर भरोसा दिलाया है कि जब-जब आपदा आएगी, सेना सबसे पहले साथ खड़ी होगी।
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