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Rahul Gandhi: Leader of Opposition I.N.D.I.A. is uniting the alliance on SIR, what is the purpose of dinner di
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Rahul Gandhi: नेता विपक्ष I.N.D.I.A. गठबंधन को SIR पर कर रहे एकजुट,डिनर डिप्लोमेसी का क्या मकसद?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Thu, 07 Aug 2025 01:51 PM IST
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बिहार में जारी वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर भले ही संसद की कार्यवाही एक दिन भी न चल सकी हो. विपक्षी सांसद इसको लेकर संसद में लगातार हंगामा कर रहे हैं. लेकिन यही SIR है जिसको लेकर विपक्ष फिर से एकजुट होता दिख रहा है. लंबे समय बाद विपक्षी दलों के संगठन इंडिया के लोग एक साथ कल बुधवार को संयुक्त प्रेस वार्ता में सामने आए, अब इसी ‘दोस्ती’ के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज गुरुवार को डिनर का आयोजन किया है. इस डिनर से भविष्य की राह भी बनती दिख रही है. कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन में अब जान फूंकने की कोशिश की जा रही है, जो पिछले साल मई-जून में हुए लोकसभा चुनावों के बाद से ही ठप पड़ा था, लेकिन संसद के मानसून सत्र के शुरू होने के बाद विपक्षी सांसदों की ओर से SIR का विरोध करते-करते इसमें अब एक जान सी आ गई.SIR के विरोध में कल बुधवार को कांग्रेस की अगुवाई में प्रेस वार्ता बुलाई गई, जिसमें विपक्षी दलों के कई नेता शामिल हुए. इसमें आम आदमी पार्टी की मौजूदगी भी अहम रही क्योंकि उसने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं है. इस वार्ता में कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), द्रविड मुनेत्र कडगम DMK, शिवसेना (UBT), समाजवादी पार्टी (SP), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPM), CPI, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल हुए थे.
अब आज गुरुवार को गठबंधन को मजबूत बनाए रखने की कवायद में राहुल गांधी ने डिनर पर सभी नेताओं को बुलाया है. माना जा रहा है कि गठबंधन में शामिल दलों के नेता शामिल होंगे. पहले इस डिनर में आम आदमी पार्टी के भी शामिल होने की बात कही जा रही थी, लेकिन अब वह शामिल नहीं हो रही है. लेकिन इनके अलावा अन्य प्रमुख दल डिनर में शामिल होंगे तो इंडिया गठबंधन को मजबूती देने के साथ-साथ आगे बढ़ने के कदमों पर विचार भी होगा. पिछले महीने मानसून सत्र शुरू होने से पहले, कांग्रेस ने विपक्षी दलों के नेताओं की एक ऑनलाइन मीटिंग बुलाई थी, जबकि पिछले साल लोकसभा चुनावों के बाद हुए पिछले संसद सत्रों में ऐसी मीटिंग नहीं बुलाई गई थी. साथ ही इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन में सुचारू समन्वय सुनिश्चित करने के लिए इंडिया गठबंधन के अपने सहयोगियों के साथ कई बैठकों की अगुवाई भी की. अब, गठबंधन के शीर्ष नेता आज राहुल गांधी के आवास पर डिनर पर मिलेंगे. कल यानी शुक्रवार को दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के मुख्यालय तक मार्च भी निकालेंगे. दूसरी ओर, गठबंधन को एकजुट करने की कोशिश में लगी कांग्रेस नेतृत्व को यह आभास हो गया है कि विपक्षी दलों को (संसद में लंबे समय तक व्यवधान डालने या कोई अभियान चलाने के लिए) महज उन्हीं मुद्दों पर एकजुट किया जा सकता है जो उनके लिए चिंता का विषय हो. ऐसे में SIR का मुद्दा ऐसा है जिसे लेकर सभी विपक्षी दल परेशान हैं. इस मसले पर सभी को साथ लिया जा सकता है. इससे पहले के सत्रो में कांग्रेस ने जिन भी मुद्दों को उठाया उसमें किसी न किसी दल ने दूरी बनाई थी.
कांग्रेस की ओर से उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर संसद में व्यवधान डाला गया तो पार्टी करीब-करीब अलग-थलग पड़ गई थी. लेकिन इस बार कांग्रेस और उसके सहयोगी दल कम से कम 2 मामले में एक साथ हैं. पहला यह कि सभी दलों ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, सरकार ने इस पर चर्चा भी कराई. लेकिन बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया ने उन्हें खासा परेशान कर दिया. केंद्र सरकार जब सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए राजी हुई, तब भी तृणमूल कांग्रेस ने महसूस किया कि विपक्ष को सरकार से यह आश्वासन लेना चाहिए था कि एसआईआर पर भी बहस कराई जाएगी. कांग्रेस ही नहीं बल्कि कई अन्य विपक्षी दलों के लिए, देशव्यापी स्तर पर मतदाता सूची पुनरीक्षण की संभावना मुख्य चिंता का विषय है. इसी चिंता की वजह से विपक्षी दल साथ आने को राजी हो रहे हैं. वरिष्ठ डीएमके नेता तिरुचि शिवा का कहना है, “SIR बहुत ही गंभीर मुद्दा है. चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में संशोधन करके कई लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर रहा है. नागरिकता का प्रमाण मांगना चुनाव आयोग का काम नहीं है. हमें चिंता है कि विपक्ष के समर्थक मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है. यह प्रक्रिया आज बिहार में शुरू हुई है, कल यह तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और देश के अन्य सभी राज्यों में भी शुरू हो सकता है. विपक्षी दलों के मतदाता वोटिंग से वंचित रह जाएंगे.
” सीपीआई (एम) के जॉन ब्रिटास ने कहा, “हमारे सामने कई अन्य मसले हैं, लेकिन वामपंथियों से लेकर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, सभी विपक्षी दल एसआईआर के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट हो गया है क्योंकि इस SIR के असली प्रमुख निर्वाचन सदन में नहीं, बल्कि कहीं और बैठे हैं.” अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी, जो इंडिया गठबंधन से बाहर हो गई थी, कल बुधवार को संसद को ठप करने वाले एसआईआर मुद्दे पर विपक्ष की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई. ममता की टीएमसी, भी खुद को इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं मानती, लेकिन राहुल गांधी के डिनर में शामिल हो रही हैं. यह बात सभी को पता है कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी पश्चिम बंगाल चुनावों से कुछ महीने पहले कांग्रेस या वाम दलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना पसंद नहीं करेगी.शायद यही समझ गई है कि विपक्षी दलों खासकर अलग-अलग राज्यों की मजबूत पार्टियों को कैसे साथ लेकर चलना है. वोटर लिस्ट में संशोधन विपक्ष के कई दलों के लिए अस्तित्व की चिंता का विषय बन गया है, इसके लिए क्षेत्रीय दल अपने मुद्दों, खासकर संघवाद, जैसे धन आवंटन या फिर राज्यपालों के अतिक्रमण, पर संसद को बाधित करने के लिए उसके साथ हाथ मिलाने को तैयार रहेंगे. जबकि संसद के बाहर विपक्षी दलों के बीच आपस में वैसे भी कोई समन्वय नहीं है. क्षेत्रीय दलों के लिए भी केंद्र के लिहाज से कांग्रेस मायने रखती है. केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अगले कुछ महीनों के अंदर चुनाव होने हैं. अगर वहां पर SIR शुरू हुआ तो वहां के क्षेत्रीयों दलों के परिणाम पर असर पड़ सकता है. केंद्र से जुड़े मसलों खासकर उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे मसलों पर वह कांग्रेस का साथ देने को राजी हो सकती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर वह खुद को कमजोर होने नहीं दे सकती है.
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