मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने मातली को रेस्क्यू अभियान के लिए स्ट्रेटिजिक एरिया बनाने को कहा है। इसके अलावा राहत और बचाव कार्यों को गति देने के लिए चिनूक तथा एमआई-17 को चिन्यालीसौंड़ में ही तैनात किया जाएगा, ताकि देहरादून से लग रहे अतिरिक्त समय को कम किया जा सके।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा धराली रेस्क्यू ऑपरेशन पर उच्च स्तरीय बैठक की जा रही है। बैठक में आर्मी, एयरफोर्स, आईटीबीपी, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन, मौसम विज्ञान विभाग, एनडीआरएफ के अधिकारी दिल्ली से ऑनलाइन जुड़े हैं। रेस्क्यू अभियान की समीक्षा की जा रही है।
धराली और हर्षिल में बचाव कार्यों पर सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने कहा कि बादल फटने और उसके बाद हुई भारी बारिश के बाद, यहां से धराली की दूरी लगभग 96 किलोमीटर है, और पूरे रास्ते में चार बड़े भूस्खलन बिंदु हैं और एक पुल नष्ट हो गया है। पिछले दो दिनों से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कर्मचारी और मशीनरी तैनात हैं। सड़कों को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। हमें उम्मीद है कि कुछ ही घंटों में संपर्क बहाल हो जाएगा। हमारे जवान तैयार हैं। जैसे ही सड़क संपर्क बहाल होगा, हमें उम्मीद है कि एक दिन में पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा। अगले तीन दिनों में हम हर्षिल तक सड़क खोलकर संपर्क बहाल कर पाएंगे। हर्षिल को धराली से जोड़ने वाली सड़क अभी पानी में डूबी हुई है। हम या तो पुरानी सड़क को बहाल कर सकते हैं या एक नई सड़क बना सकते हैं, इन दोनों विकल्प का हम उपयोग करेंगे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा भटवाड़ी के आखिरी संपर्क मार्ग पर पहुंचे। उनका कहना है कि राहत के नाम पर सरकार सिर्फ झूठे दावे कर रही है। सेना आईटीबीपी के जवान काम कर रहे हैं। नेटवर्क बाधित किए जाने के कारण लोगों का अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। हम धराली के लिए निकले हैं लेकिन भटवाड़ी से आगे संपर्क मार्ग खत्म है।
चिनूक हेलिकॉप्टर द्वारा कुल 29 लोगों को धराली उत्तरकाशी से रेस्क्यू कर देहरादून एयरपोर्ट लाया गया। जहां पर उनका मेडिकल चेकअप किया जा रहा है। वहीं प्रशासन, पुलिस, सेना और एनडीआरएफ की टीम देहरादून एयरपोर्ट पर मौजूद है। इन 29 लोगों के लिए देहरादून एयरपोर्ट पर सेना, एनडीआरएफ और उत्तराखंड सरकार की बसें खड़ी हैं। जिनसे इनको आगे के लिए रवाना किया जाएगा।