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PM Modi's befitting reply to Trump's tariff, gave a message through gestures
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पीएम मोदी का ट्रंप के टैरिफ पर करारा जवाब, इशारों में दे दिया संदेश
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 07 Aug 2025 11:13 AM IST
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित पूसा परिसर में एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ऐसा बयान दिया जिसे वैश्विक मंच पर अमेरिका को एक मजबूत और परोक्ष संदेश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि “भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। चाहे इसके लिए व्यक्तिगत रूप से मुझे कोई कीमत क्यों न चुकानी पड़े, मैं इसके लिए तैयार हूं।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारतीय वस्तुओं पर कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि स्वर्गीय एमएस स्वामीनाथन ने अपने जीवन को भारत की खाद्य सुरक्षा और किसानों की उन्नति के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा, “स्वामीनाथन जी को कृषि विज्ञान में उनके अग्रणी कार्य के लिए पूरी दुनिया में सम्मान मिला है।” इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि “भारत किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर स्तर पर खड़ा रहेगा।”
भले ही प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया, लेकिन यह कहना कि “मैं किसानों के हितों की रक्षा के लिए व्यक्तिगत कीमत चुकाने को भी तैयार हूं”, सीधा संकेत है कि भारत किसी भी वैश्विक दबाव के आगे झुकेगा नहीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी का यह वक्तव्य अमेरिका को यह स्पष्ट संदेश देने के लिए था कि भारत की प्राथमिकता उसके किसान हैं, न कि वैश्विक व्यापारिक दबाव।
7 से 9 अगस्त तक चलने वाले इस सम्मेलन का विषय है – “सदाबहार क्रांति: जैव-सुख का मार्ग”। यह सम्मेलन प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित किया गया है, जिनकी पहचान भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में होती है।
सम्मेलन का आयोजन एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के सहयोग से हो रहा है।
सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने एमएस स्वामीनाथन के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया। इस पहल का उद्देश्य न केवल उनके योगदान को अमर करना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करना है कि कृषि ही भारत की आत्मा है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारत अब कृषि में सिर्फ उत्पादन की बात नहीं कर रहा, बल्कि “जैविक समृद्धि, टिकाऊ खेती और किसानों की आय वृद्धि” की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ऐसी नीतियां बना रही है जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाएंगी और वैश्विक बाजार में उनकी स्थिति को मज़बूत करेंगी।
अपने भाषण के आखिर में पीएम मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि “हम किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। चाहे वैश्विक स्तर पर हमें कितनी भी चुनौतियां क्यों न मिलें।” यह लाइन भारत की स्थिति को स्पष्ट करती है कि वह किसी भी प्रकार के व्यापारिक या राजनीतिक दबाव के सामने झुकने को तैयार नहीं।
जहां एक ओर अमेरिका ने टैरिफ के ज़रिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंच से यह साफ कर दिया है कि भारत ‘किसान केंद्रित नीति’ से पीछे नहीं हटेगा। यह सम्मेलन न केवल स्वामीनाथन जी को श्रद्धांजलि है, बल्कि आने वाले वर्षों में भारत की कृषि नीति की रीढ़ भी बनने जा रहा है।
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