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BJP में पवन सिंह की वापसी, RJD खेलेगी खेसारी लाल यादव पर दांव?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 04 Oct 2025 10:15 AM IST
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बिहार चुनाव से पहले सियासी मैदान में अब एक नया मोड़ आ चुका है। अब तक जातिगत समीकरणों और गठबंधनों की बात हो रही थी, लेकिन अचानक से चुनावी हवा में भोजपुरी सितारों का तड़का लग गया है। भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह की बीजेपी में वापसी के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
बीजेपी ने जिस वक्त पवन सिंह को अपने खेमे में वापस लाने का ऐलान किया, उसे एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। पवन सिंह सिर्फ भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार नहीं, बल्कि युवाओं में खासा प्रभाव रखते हैं। खासकर पूर्वांचल और बिहार के पश्चिमी इलाकों में उनकी लोकप्रियता चुनावी रैलियों का रंग बदल सकती है। पवन सिंह का जुड़ना बीजेपी के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के दिनों में राजपूत समाज के बीच पार्टी के प्रति कुछ नाराजगी देखने को मिल रही थी। ऐसे में पवन सिंह का चेहरा इस वोट बैंक को साधने का हथियार बन सकता है।
जैसे ही पवन सिंह की वापसी की खबर आई, चर्चा तेज हो गई कि आरजेडी अब कौन सा जवाबी दांव खेलेगी। और यहां सबसे ज्यादा चर्चा में नाम है भोजपुरी सिनेमा के दूसरे बड़े स्टार – खेसारी लाल यादव का। खेसारी पहले भी लालू परिवार के करीबी माने जाते रहे हैं। 2020 के चुनाव में उनका गाया गीत “तेजस्वी सरकार चाहिए” खूब हिट हुआ था और चुनाव प्रचार का हिस्सा भी बना था। यही वजह है कि अब चर्चा गर्म है कि तेजस्वी यादव खेसारी को पार्टी में शामिल कर सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह महज फिल्मी चेहरों की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक गहरे जातीय समीकरण का हिस्सा है। पवन सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं और उनके आने से बीजेपी का अगड़ी जातियों में पकड़ मजबूत होगी। दूसरी ओर, खेसारी यादव जाति से हैं और अगर वे आरजेडी में आते हैं तो एम-वाई समीकरण (मुस्लिम-यादव) को और धार मिल सकती है। साथ ही खेसारी का प्रभाव पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में भी है, जो सीधे-सीधे नीतीश कुमार के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।
खेसारी लाल यादव के आरजेडी में शामिल होने की अटकलों के बीच अब उनकी पत्नी चंदा देवी का नाम भी उभर कर सामने आया है। कहा जा रहा है कि उन्हें आरजेडी टिकट दे सकती है। हाल ही में जब खेसारी लाल यादव से पूछा गया की उनकी पत्नी चंदा देवी को लेकर चर्चाएं चल रही है की वो राजद से चुनाव लड़ सकती है तो उन्होंने कहा– “चुनाव लड़ेंगी भी तो वही लड़ेंगी, मैं नहीं।” उन्होंने इस संभावना को सीधे तौर पर नकारा भी नहीं। अब उनके इस बयान ने चर्चाओं को और हवा दे दी है।
बिहार की राजनीति पहले ही जातीय खांचे और परिवारवाद के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन इस बार भोजपुरी सिनेमा के दो दिग्गज स्टार पवन सिंह और खेसारी लाल यादव मैदान में उतर सकते हैं। यह मुकाबला न सिर्फ सियासी दलों के लिए वोट जुटाने का जरिया होगा, बल्कि यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या सिनेमा का स्टारडम राजनीति में भी उतना ही असर दिखा पाएगा।
राजनीतिक पंडितों की माने तो बीजेपी ने पवन सिंह को सामने लाकर राजपूत वोटों और युवाओं को साधने का प्रयास किया है। वहीं, अगर खेसारी आरजेडी में आते हैं तो यादव वोटों के साथ-साथ पिछड़ी जातियों और युवा वर्ग पर पकड़ और मजबूत होगी। ऐसे में पवन बनाम खेसारी की यह टक्कर चुनावी मंच पर सीधे बीजेपी बनाम आरजेडी की लड़ाई में तब्दील हो जाएगी।
गांव-गांव और कस्बों में अब चर्चा सिर्फ उम्मीदवारों की नहीं बल्कि इन भोजपुरी सितारों की भी हो रही है। लोग कहते सुने जा रहे हैं – “अब चुनाव में सिर्फ भाषण नहीं, गाने और स्टार पावर भी देखनी होगी।” पंडालों और चौपालों में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या पवन सिंह और खेसारी वाकई आम वोटर को प्रभावित कर पाएंगे या फिर यह सिर्फ सियासी दलों की चमक-दमक भर है।
कुल मिलाकर, बिहार का यह चुनाव जातीय समीकरणों और राजनीतिक गठबंधनों से कहीं आगे निकलकर सेलिब्रिटी फैक्टर का संगम बन चुका है। पवन सिंह और खेसारी लाल यादव की एंट्री अगर आमने-सामने होती है तो यह मुकाबला सिर्फ़ राजनीति का नहीं, बल्कि भोजपुरी सिनेमा के दो सबसे बड़े चेहरों का भी होगा।
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