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Prayagraj Flood News: Fierce fury of Ganga-Yamuna in Prayagraj, thousands of lives in danger!
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Prayagraj Flood News : प्रयागराज में गंगा-यमुना का प्रचंड तांडव, संकट में फंसी हजारों की जिंदगी!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Tue, 05 Aug 2025 01:34 AM IST
प्रयागराज में उफनाई गंगा और यमुना रविवार की अपेक्षा सोमवार को एक मीटर से ज्यादा बढ़ गईं और खतरे के निशान से करीब डेढ़ मीटर बह रही हैं। बनारस में भी खतरे के निशान से ऊपर बहती गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। इस बीच बारिश और बाढ़ के कारण हादसों में जान जाने का क्रम जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "आज मैंने प्रयागराज में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया है। मैं नाव से और स्थलीय निरीक्षण भी करूंगा। यह बाढ़ 2013 में आई बाढ़ के स्तर को पार कर रही है। गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है। सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों की हर प्रकार की सहायता की व्यवस्था की है
वाराणसी में बाढ़ ने शहर के अनेक क्षेत्रों में जिंदगी की गति रोक दी है। डेढ़ लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। गंगा खतरे के निशान 71.26 मीटर से 83 सेमी ऊपर बह रही हैं। सभी विद्यालय छह अगस्त तक बंद कर दिए गए हैं। नमो घाट पर बने नमस्ते की मुद्रा के स्कल्पचर डूबने को हैं। असि घाट पर पानी सड़क तक आ पहुंचा है तो नगवां क्षेत्र में कॉलोनियों में पानी घुस चुका है। इन कालोनियों के लोगों ने पलायन कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण ली है। लगभग पांच हजार लोग बाढ़ राहत शिविरों में पहुंचे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गंगा, वरुणा व गोमती का कहर विकराल होता जा रहा है। कई गांवों के संपर्क आपस में भंग हो चुके हैं।
वर्ष 2013 में गंगा का अधिकतम जलस्तर 86.8 मीटर तो यमुना का 86.6 मीटर तक पहुंचा था। रविवार रात गंगा का जलस्तर 85.80 तथा यमुना का 85.82 मीटर पहुंच गया था। मतलब यह कि 25-26 सेमी और पानी बढ़ने पर वर्ष 2013 का रिकार्ड टूट सकता है। वर्ष 2013 में बाढ़ का पानी लगभग एक माह तक टिका रह गया था, जिससे ज्यादा दिक्कत उत्पन्न हो गई थी पिछले दो दिनों में तेजी से दोनों नदियों के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। इससे करीब एक हजार परिवारों को अपना आशियाना छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। इसके अलावा 27 गांवों के हजारों लोग नावों के सहारे आवागमन को मजबूर हैं।
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