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Trump warns India-China-Brazil of 500% tariff and threatens Putin.
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ट्रंप की India-China-Brazil को 500% टैरिफ वाली वार्निंग, पुतिन को दी धमकी।
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 15 Jul 2025 07:50 PM IST
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रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल से अधिक हो चुके हैं और शांति की कोई स्पष्ट दिशा अब तक सामने नहीं आई है। इस बीच, अमेरिका की राजनीतिक गलियारों में एक नई सख्ती देखने को मिल रही है, जिसका सीधा असर भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर पड़ सकता है।
अमेरिकी सीनेट में अब एक नया विधेयक ‘रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025’ पेश किया गया है, जिसके तहत उन देशों पर 500% तक आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का प्रस्ताव है, जो अब भी रूस से सस्ता तेल और गैस खरीद रहे हैं। यह प्रस्ताव रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेट सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने मिलकर रखा है।
सीनेटरों का तर्क है कि रूस से तेल और गैस खरीदने वाले देश पुतिन की युद्ध मशीन को फंडिंग कर रहे हैं। उनके मुताबिक, भले ही ये देश युद्ध में सीधे शामिल नहीं हैं, लेकिन उनके आर्थिक फैसले रूस की सैन्य क्षमताओं को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।
सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कहा – “यह सिर्फ व्यापार नहीं है, यह एक नैतिक जिम्मेदारी है। अगर कोई देश सस्ते तेल के लिए पुतिन को पैसे देता है, तो वह उसके टैंकों, ड्रोन और मिसाइलों का ईंधन भर रहा है।”
इस प्रस्ताव को डोनाल्ड ट्रंप का अप्रत्यक्ष समर्थन भी मिल गया है। ट्रंप ने हाल ही में नाटो महासचिव से मुलाकात के दौरान बयान दिया कि अगर रूस 50 दिनों के भीतर युद्ध नहीं रोकता, तो वे “सेकेंडरी टैरिफ” लगाएंगे।
ट्रंप ने कहा – “हम युद्ध को खत्म करना चाहते हैं, न कि व्यापार को नुकसान। लेकिन अगर शांति नहीं आई, तो हमें कड़े फैसले लेने ही होंगे।”
कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के सेकेंडरी टैरिफ का इशारा सीनेटरों द्वारा पेश ‘रूस प्रतिबंध अधिनियम’ की ओर ही है।
भारत रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीद रहा है। रूस, अब भारत के लिए सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है। इससे भारत को तेल के आयात पर हजारों करोड़ की बचत हुई है, जिससे घरेलू ईंधन कीमतें नियंत्रित रखने में मदद मिली।
हालांकि, अमेरिका का यह कड़ा रुख भारत के लिए नई चुनौती बन सकता है। अगर अमेरिका भारत पर 500% टैरिफ लागू करता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे कई उद्योगों पर असर पड़ेगा – खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, आईटी और ऑटो सेक्टर।
भारत की प्रतिक्रिया – कूटनीतिक सतर्कता और संपर्क
भारत सरकार इस मसले को लेकर अमेरिका से संपर्क में है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ किया कि भारत को जो भी घटनाक्रम प्रभावित कर सकते हैं, उस पर भारत की पैनी नजर है।
उन्होंने कहा – “भारत के राजदूत और अमेरिकी सीनेटरों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हुई है। हमने स्पष्ट किया है कि भारत की ऊर्जा जरूरतें, उसकी सुरक्षा और आर्थिक हितों से जुड़ी हैं। भारत किसी युद्ध को समर्थन नहीं देता, बल्कि शांति का पक्षधर है।”
वर्तमान में, भारत कच्चे तेल की 85% जरूरतें आयात के जरिए पूरी करता है। ऐसे में किसी भी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता खत्म करना आसान नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत का रुख व्यावहारिक और रणनीतिक है।
भारत के लिए यह दुविधा की स्थिति है – क्या वह वैश्विक दबाव के आगे झुके या अपनी ऊर्जा जरूरतों की रक्षा करे?
भारत के अलावा, चीन और ब्राजील भी रूस से सस्ते तेल और गैस के बड़े ग्राहक हैं। अमेरिका का यह प्रस्ताव इन्हें भी प्रभावित करेगा। हालांकि, चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था पर टैरिफ लागू करना खुद अमेरिका के व्यापारिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
सीनेटरों का मानना है कि यह आर्थिक दबाव पुतिन को शांति वार्ता की मेज पर लाने में मदद करेगा। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इससे वैश्विक व्यापार तंत्र और डिप्लोमेसी को नुकसान पहुंच सकता है।:
अमेरिका के ‘रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025’ प्रस्ताव और ट्रंप की धमकी के बाद भारत समेत कई देशों के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है – क्या वे वैश्विक दबाव के आगे झुकेंगे या अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देंगे?
इस प्रस्ताव ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को एक नए मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जहां तेल और टैरिफ, युद्ध और शांति के भविष्य को तय कर सकते हैं।
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