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What is Sushila Karki's connection with BHU? She can become the PM of Nepal
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सुशीला कार्की का क्या है BHU से कनेक्शन? बन सकती हैं नेपाल की पीएम
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 11 Sep 2025 04:49 PM IST
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नेपाल में सरकार गिरने के बाद नए नेतृत्व की तलाश तेज हो गई है। इसी बीच एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है सुशीला कार्की। नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं कार्की का नाम कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद के लिए लिया जा रहा है। खास बात यह है कि कार्की का गहरा नाता भारत से भी रहा है। उन्होंने करीब 50 साल पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से स्नातक की पढ़ाई की थी।
सुशीला कार्की ने वर्ष 1975 में राजनीति विज्ञान विभाग से स्नातक (यूजी) की डिग्री हासिल की थी। बनारस में पढ़ाई के दौरान ही उनकी जिंदगी का एक अहम मोड़ आया। यहीं उनकी मुलाकात नेपाली कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई। मुलाकात दोस्ती में बदली और बाद में उन्होंने सुबेदी से शादी कर ली।
कार्की की यह व्यक्तिगत यात्रा आज नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच फिर से चर्चा में है।
बीएचयू के 1985 के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अनिल श्रीवास्तव ने सुशीला कार्की को याद करते हुए कहा कि वे बेहद सामान्य छात्रा थीं। उनका दैनिक जीवन हॉस्टल से विभाग और विभाग से हॉस्टल तक सीमित रहता था। वे अक्सर लाइब्रेरी जाती थीं लेकिन किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होती थीं। उस समय शायद ही किसी ने सोचा हो कि यही छात्रा एक दिन नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनेगी और अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद की दौड़ में भी उनका नाम आएगा।
बीएचयू में 12 साल तक नेपाली केंद्र के समन्वयक रहे प्रोफेसर भूपेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि कार्की की पढ़ाई के दौरान बीएचयू में अक्सर नेपाली कांग्रेस के सदस्य आते थे। कोईराला परिवार, डिप्टी पीएम यादव और नेपाल के कई सांसद नियमित रूप से बनारस आते रहे। यह दौर नेपाल की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए भी अहम माना जाता है।
हालांकि, सिंह का कहना है कि बीएचयू से पढ़ाई पूरी करने के बाद सुशीला कार्की कभी वापस कैंपस नहीं आईं।
बीएचयू के प्रोफेसर टीपी सिंह ने कहा कि कार्की की पढ़ाई और उनसे जुड़ी यादों को अब सहेजने की योजना है। बीएचयू यह गर्व के साथ याद करेगा कि नेपाल की राजनीति और न्यायपालिका की सबसे बड़ी शख्सियतों में से एक का गहरा रिश्ता यहीं से रहा है।
सुशीला कार्की का नाम नेपाल के इतिहास में पहले से दर्ज है। वे देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी थीं। न्यायपालिका में उनका करियर साफ-सुथरी छवि और कठोर फैसलों के लिए जाना जाता है। राजनीतिक दबावों से ऊपर उठकर काम करने की उनकी पहचान रही है। यही वजह है कि मौजूदा राजनीतिक संकट में उनके नाम पर सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है।
नेपाल में हाल ही में ओली सरकार गिरने के बाद सत्ता शून्य की स्थिति बन गई है। राजनीतिक दलों के बीच खींचतान जारी है और ऐसे में सुशीला कार्की का नाम एक सहमति उम्मीदवार के तौर पर सामने आ रहा है। माना जा रहा है कि उनके न्यायपालिका और सामाजिक कार्यों से जुड़े अनुभव उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
यदि कार्की कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनती हैं तो यह नेपाल की राजनीति में महिला नेतृत्व का एक और मजबूत अध्याय होगा। इससे पहले वे न्यायपालिका में काँच की छत तोड़ चुकी हैं। अब राजनीतिक नेतृत्व में उनकी भूमिका को लेकर लोगों में उत्सुकता है।
नेपाल का मौजूदा राजनीतिक संकट केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र और भविष्य की दिशा तय करने वाला मोड़ है। ऐसे समय में सुशीला कार्की जैसे व्यक्तित्व का नाम सामने आना यह दर्शाता है कि नेपाल अब स्थिरता और विश्वसनीयता की तलाश में है। बीएचयू से पढ़ाई करने वाली एक सामान्य छात्रा का आज नेपाल की राजनीति के केंद्र में आना भारत-नेपाल के ऐतिहासिक रिश्तों को भी और गहरा कर रहा है।
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