बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ बुधवार को आगर जिला मुख्यालय पर सर्व हिंदू समाज बड़ी संख्या में सड़क पर उतरा। इसमें संपूर्ण हिंदू समाज ने एकजुट होकर धर्म की रक्षा का आह्वान किया। इसके साथ ही बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को अंतरराष्ट्रीय मंच और वैश्विक स्तर पर उठाने की मांग केंद्र सरकार से की गई।
दोपहर एक बजे जिला मुख्यालय पर स्थित पुरानी कृषि उपज मंडी में सर्व हिंदू समाज का एकत्रीकरण रखा गया। यहां पर आगर जिले के सुसनेर, बड़ौद, नलखेड़ा, सोयत, कानड़, तनोड़िया आदि जगहों से हजारों की संख्या में सर्व समाज के लोग शामिल हुए और एक सभा का आयोजन किया गया, जिसके माध्यम से सभी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की जमकर निंदा की।
उन्होंने कहा कि हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर लूट, हत्या, आगजनी और महिलाओं के साथ किया जा रहा अत्याचार बेहद चिंताजनक है। पुरानी कृषि उपज मंडी से निकाली गई जनआक्रोश रैली पुरानी तहसील चौराह, पुराने अस्पताल चौराहा, सरकार वाड़ा, हाट पूरा, सराफा बाजार, नाना बाजार, रातोड़ियो तालाब से होते हुए छावनी झंडा चौक पर पहुंची। जहां पर एक सभा का आयोजन किया गया। रैली में बड़ी संख्या में मातृशक्ति, युवा और सर्व हिंदू समाज हजारों की संख्या में हाथों में तख्तियां लेकर रेली में शामिल हुए।
इस मौके पर वक्ताओं ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सनातन धर्म वसुदेव कुटुंबकम के सिद्धांतों के साथ संपूर्ण मानवता के कल्याण की बात करता है। परंतु जिहादी हमारी सर्वे भवंतु सुखिन के सिद्धांत को हमारी कायरता समझ कर अत्याचार कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि देश धर्म की रक्षा के लिए हिंदू समाज एकजुट होकर प्रयास करें।
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को गिराया जा रहा है, उसके साथ ही साधु संतों के साथ मारपीट की जा रही है, जिससे वहां रह रहे हिंदू परिवार डरे हुए हैं। ऐसे में बांग्लादेश में हो रही हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की गई।
वक्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदू समाज के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए वहां की वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए तत्काल अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का भूभाग, जो कभी भारत का हिस्सा था, वहां सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक रहते थे। लेकिन वर्तमान में स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि हिंदू समुदाय का वहां रहना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल धर्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानवाधिकार और न्याय का मामला है।