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Barwani News: नर्मदा परिक्रमा पर निकले 65 वर्षीय सुल्तान खान, बोले- मां ने दिया सहारा, वचन निभाने निकला हूं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बड़वानी Published by: बड़वानी ब्यूरो Updated Sun, 16 Nov 2025 08:04 PM IST
कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुई लगभग 3500 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा में इस बार हरदा जिले के अफगांव कलां निवासी 65 वर्षीय सुल्तान खान निरंतर चर्चा में है। जिले के अंजड़ में रविवार सुबह भंडारे में प्रसाद लेने और थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वे अपनी अगली यात्रा शुरू करने की तैयारी में थे। रास्ते में उन्हें जब कोई हिंदू मिलता है तो वे “हर-हर नर्मदे” कहते हैं और कोई मुस्लिम मिलता है तो अदब से “अस-सलाम-अलैकुम” कहना नहीं भूलते। भजन गाते हुए यात्रा कर रहे सुल्तान खान का “मैया कैसे चढ़ाऊं जल, ये मछली का झूठा है...” जैसा भजन भी परिक्रमा में शामिल लोगों का ध्यान खींच रहा है।
मन्नत, संघर्ष और मां नर्मदा में गहरी आस्था
सुल्तान खान बताते हैं कि वे जीवन भर नमाज पढ़ते रहे और जमातों में भी गए, लेकिन उनकी कई मनोकामनाएं उनके अनुसार मां नर्मदा की कृपा से पूरी हुईं। मजदूरी करने वाले खान के सात बेटे हैं। आर्थिक तंगी के कारण वे बेटों की शादी को लेकर चिंतित थे। उन्होंने मां नर्मदा से मन्नत मांगी कि यदि बेटों की शादी हो जाएगी तो वे परिक्रमा करेंगे। तीन-चार वर्षों में उनके छह बेटों की शादी हुई और अब एक बेटा शेष है। उन्होंने बताया कि मन्नत पूरी होने के बाद परिक्रमा का संकल्प उन्होंने अपने बच्चों को बताया, लेकिन उन्होंने यात्रा के लिए रुपए देने से मना कर दिया। इसके बावजूद सुल्तान खान मां नर्मदा की प्रेरणा से अकेले ही परिक्रमा पर निकल पड़े।
सेवा, अनुभव और निरंतर यात्रा का संकल्प
सुल्तान खान कहते हैं कि परिक्रमा शुरू हुए लगभग दस दिन हो चुके हैं और रास्ते भर भोजन-पानी की सेवा सहजता से मिल रही है। उनका कहना है कि आरती-पूजन की विधियां भले उन्हें न आती हों, लेकिन वे मां नर्मदा की जयघोष और भजनों के साथ यात्रा जारी रखे हुए हैं। वे “मैया मैं आज पूजा करने आया हूं... अगर मैं जल चढ़ाऊं मैया वो भी मछली का झूठा है...” जैसे गीत गाते हुए अपनी आस्था व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि मां की कृपा रही तो वे भविष्य में भी परिक्रमा जारी रखने का प्रयास करेंगे।
नर्मदा परिक्रमा के दौरान सुल्तान खान का जगह-जगह स्वागत भी हो रहा है।
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