चौरई विधानसभा के चांद क्षेत्र में पेंच नदी की रेत अब बहते पानी के लिए नहीं, बल्कि माफियाओं के मुनाफे के लिए निकाली जा रही है और यह सब प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है। श्मशान घाट, सरकारी स्कूल और सार्वजनिक जमीनें तक अब रेत के अवैध भंडारण केंद्र बन गई हैं।
रेत का अवैध भंडारण दिन-दहाड़े खुलेआम किया जा रहा है, लेकिन खनिज विभाग की भूमिका केवल दर्शक की बनी हुई है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग केवल दिखावटी कार्रवाई कर रहा है, जबकि असल में माफियाओं से मिलीभगत के चलते पूरा खेल निर्बाध रूप से चल रहा है।
सूत्रों की मानें तो जब भी खनिज विभाग कार्रवाई करता है, मौके से लगभग 200 हाइवा रेत जब्त की जाती है, लेकिन रिकॉर्ड में महज 50 हाइवा ही दर्ज होती हैं। बाकी रेत चोरी-छिपे माफियाओं को लौटा दी जाती है। हालात ऐसे हैं कि जिनसे रेत जब्त होती है, उन्हीं को उसकी निगरानी का जिम्मा सौंपा जा रहा है।
ये भी पढ़ें: तेंदूखेड़ा में उल्टी-दस्त का कहर, दूषित पानी और गंदगी से बीमार हुए दर्जनों लोग, प्रशासन ने संभाला
खनिज विभाग और प्रशासन की निष्क्रियता से नाराज़ चौरई विधायक सुजीत चौधरी ने मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया। विधायक ने तीखे सवाल उठाते हुए कहा,“जिस माफिया से रेत जब्त होती है, उसी को रेत की निगरानी का जिम्मा दे दिया जाता है। यह मज़ाक है या खुली मिलीभगत?” धरना स्थल पर खुद कलेक्टर शीलेंद्र सिंह पहुंचे और विधायक से बातचीत की। इस दौरान विधायक ने क्षेत्र में यूरिया खाद की किल्लत का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया।
खनिज विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं, उनमें अधिकतर “अज्ञात” आरोपी हैं। सवाल उठता है कि जब रेत का भंडारण खुलेआम हो रहा है, तो आरोपी अज्ञात कैसे हो सकते हैं? सहायक खनिज अधिकारी स्नेहलता ठवरे की अगुआई में की गई कार्रवाइयां सिर्फ कुछ गिने-चुने स्थानों तक ही सीमित रहीं। चिंता की बात यह है कि जिन माफियाओं ने सरकारी भूमि पर रेत का अवैध भंडारण किया, उन्हें ही रेत की निगरानी सौंपी जा रही है।