मप्र हाईकोर्ट ने एयर कनेक्टिविटी के मामले में अन्य विमान कंपनियों से पूछा है कि फ्लाइट्स की संख्या बढ़ाने के लिए वे केंद्र और राज्य से क्या रियायतें चाहते हैं। इस संबंध में सुझाव पेश करें। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले में कहा है कि कंपनी यह बताएं कि केंद्र और राज्य सरकार को ऐसे कौन से कदम उठाने चाहिए, जिससे विमान कंपनियों को कमर्शियल फायदा हो। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को निर्धारित की है। इसके साथ ही न्यायालय ने रजिस्ट्री को यह निर्देश भी दिए कि कंपनी की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश किए गए डाटा को स्कैन कर रिकॉर्ड पर लें।
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गौरतलब है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से 2024 में जनहित याचिका दायर कर जबलपुर से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग की गई है। इस मामले में एक विधि छात्र पार्थ श्रीवास्तव की ओर से याचिका दायर की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी और दिनेश उपाध्याय ने दलील दी कि जबलपुर में अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट हैं। जबलपुर हवाई अड्डा अन्य शहरों से अच्छी तरह से नहीं जुड़ पा रहा है और जबलपुर से केवल 9 उड़ानें संचालित हो रही हैं। वहीं, तुलनात्मक रूप से जबलपुर से छोटे भोपाल एयरपोर्ट से प्रतिदिन 40 से अधिक उड़ानें हैं। हाल ही में भोपाल और इंदौर के लिए फ्लाइट भी बंद कर दी गई है।
पूर्व में जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता, बेंगलुरू, रायपुर आदि शहरों के लिए फ्लाइट संचालित होती थीं। मामले पर सुनवाई के दौरान विमान कंपनियों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि इस मामले में अभी तक केंद्र की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया है। जिस तरह राज्य सरकार ने एयरपोर्ट पर कुछ रियायतें घोषित की हैं। उसी तरह केंद्र को भी आगे आकर अपनी बात रखनी चाहिए। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर बताया गया था कि प्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डों से नई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ाने शुरू कराने के लिए विमानन निदेशालय ने निविदा जारी की है।