एमपी के कटनी जिले से बड़ा मामला सामने आया है, जहां इलाज कराने पहुंचे एक युवक की जान अस्पताल की सुरक्षा लापरवाही की भेंट चढ़ गई थी। करीब तीन साल चले मामले पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए वर्धमान हॉस्पिटल प्रबंधन और संचालक डॉक्टर ऋषि जैन को दोषी ठहराया है। आयोग ने आदेश दिया है कि पीड़ित पक्ष को 30 दिन के भीतर लगभग 52 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
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दरअसल, मामला करीब तीन साल पुराना है। रोशन नगर निवासी रामजी परोहा ने अपने पुत्र मनोज परोहा को इलाज के लिए वर्धमान हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। लेकिन 29 और 30 जुलाई 2022 की दरम्यानी रात वह हादसा हुआ जिसने पूरे परिवार की खुशियां छीन लीं। देर रात करीब डेढ़ बजे मनोज अस्पताल की ऊपरी मंजिल से रेलिंग के पास बनी खुली जगह से नीचे गिर गया। गिरने से उसे गंभीर चोटें आईं और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। परिवार का आरोप था कि अस्पताल प्रबंधन ने सुरक्षा इंतजामों में भारी लापरवाही बरती। अगर रेलिंग या ग्रिल मजबूत होती तो मनोज की जान बच सकती थी। यही दलील पीड़ित पक्ष की ओर से अधिवक्ता भूपेश जायसवाल ने आयोग के सामने रखी। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद आयोग ने माना कि अस्पताल की सुरक्षा चूक के कारण ही युवक की मौत हुई।
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आयोग ने इस आधार पर वर्धमान हॉस्पिटल और डॉक्टर ऋषि जैन को जिम्मेदार मानते हुए पीड़ित परिवार को 52 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश सुनाया। साथ ही साफ कहा गया कि यह रकम 30 दिन के भीतर अदा करनी होगी। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने वाला है बल्कि उन अस्पताल प्रबंधन के लिए भी बड़ा सबक है जो इलाज के नाम पर लाखों रुपये तो वसूलते हैं लेकिन सुरक्षा मानकों और मरीजों की देखरेख पर ध्यान नहीं देते। फिलहाल कटनी जिले का यह पहला मामला होगा जिसमें अस्पताल प्रबंधन को लापरवाही करने पर इतनी बड़ी अदा करने के निर्देश दिए हैं शायद यही कारण है कि यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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