मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले की नगर निगम के इतिहास में मंगलवार को एक अनोखा मामला सामने आया, जब नगर निगम की अध्यक्ष और विपक्षी दल कांग्रेस के पार्षदों को निगम के सदन के बाहर ही सड़क किनारे बैठकर परिषद का सम्मेलन आयोजित करना पड़ा। दरअसल, निगम अध्यक्ष अनीता यादव और कांग्रेस के 22 पार्षद पूर्व में घोषित परिषद के सम्मेलन में भाग लेने इंदिरा कॉलोनी के ऑडिटोरियम पहुंचे थे। लेकिन, वहां ताला लटका हुआ देखकर निगम अध्यक्ष ने परिषद हाल के बाहर ही सड़क किनारे सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष उबेद शेख ने सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए बजट में शामिल कई प्रावधानों को आम जनता के हित में नहीं बताया। इसके बाद निगम अध्यक्ष ने आम जनता पर लगाए गए जलकर एवं संपत्ति कर को हटाने के आदेश जारी कर दिए। साथ ही, भाजपा पार्षदों द्वारा पारित वार्षिक बजट को भी पास न करने की घोषणा की गई।
बुरहानपुर नगर निगम में 21 अक्टूबर को आयोजित बजट सम्मेलन को स्पीकर अनीता यादव ने स्थगित कर अगली तारीख 5 नवंबर निर्धारित की थी। हालांकि, बीजेपी पार्षद और महापौर ने इसे नगर निगम एक्ट के विपरीत बताते हुए उपस्थित पार्षदों में से एक पार्षद को निगम का सभापति बनाकर बजट पारित कर दिया था। कांग्रेस ने इसे अवैधानिक बताकर जिला प्रशासन से शिकायत की थी। इसके बाद मंगलवार को निगम सभापति ने यह बैठक फिर से बुलाई थी।
लेकिन जब सभा स्थल पर नगर निगम की सभापति और कांग्रेस पार्षद पहुंचे, तो उन्हें वहां ताला जड़ा हुआ दिखा। इस दौरान वहां निगम का कोई अधिकारी या कर्मचारी भी मौजूद नहीं था। ऐसे में महिला और पुरुष पार्षदों ने बंद सभास्थल के बाहर की सीढ़ियों पर झाड़ू लगाकर फर्श पर ही बैठक शुरू कर दी। माना जा रहा है कि यह बुरहानपुर नगर निगम के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी निगम सभापति की अध्यक्षता में ऐसा सम्मेलन हुआ, जिसमें पहले से पारित बजट को निरस्त किया गया। बैठक के बाद सभी पार्षदों ने जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन भी सौंपा।
इस तरह हुई थी विवाद की शुरुआत
बता दें कि निगम में महापौर माधुरी पटेल और निगम अध्यक्ष अनीता यादव के बीच सभापति की कुर्सी को लेकर विवाद है। महापौर ने एक पार्षद को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाकर बजट पास कराने को लेकर तकरार की स्थिति बनी हुई है। 21 अक्टूबर को परिषद की बैठक के दौरान इसी मुद्दे पर विवाद हुआ था। तब निगम अध्यक्ष ने बैठक स्थगित कर अगली तारीख 5 नवंबर तय की थी। लेकिन महापौर और निगम आयुक्त ने इसे अस्वीकार करते हुए एक पार्षद को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाकर बजट पास कर लिया था।
महापौर बोलीं, 20 सालों में नहीं बढ़ा एक भी रुपया कर
महापौर माधुरी अतुल पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हम और बीजेपी नगर निगम एक्ट के तहत कार्यवाही कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस केवल जनता में भ्रम फैला रही है। यहां 20 साल से बीजेपी सत्ता में है और इन 20 सालों में एक रुपया भी कर नहीं बढ़ाया गया है। पहले जलकर 50 रुपये प्रतिमाह था, लेकिन अब जलावर्धन योजना के तहत जल उपयोगिता चार्ज लिया जा रहा है। यानी जो नल कनेक्शन लेगा, उससे शुल्क लिया जाएगा। संपत्ति कर में नामांतरण शुल्क वर्ष 2001 से नहीं बढ़ाया गया है, लेकिन वर्तमान लागत को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
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