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VIDEO : बलरामपुर-सोहेलवा में आज से पर्यटकों के लिए खुलेगा जरवा ईको पर्यटन स्थल
सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग में विकसित जरवा ईको टूरिज्म छह नवंबर बुधवार से पर्यटकों के लिए खुल जाएगा। नव विकसित ईको टूरिज्म में नेचर ट्रैक से लेकर वाच टावर तक का निर्माण कराया गया है। साथ ही बच्चों के लिए पार्क व झूले का प्रबंध किया गया है। जरवा में नव विकसित ईको पर्यटन स्थल दारा नाला के पास तैयार किया गया है। दारा नाला के पास वाच टावर बनाया गया है।
इस स्थल से नेपाल के पहाड़ देखने की व्यवस्था की गई है। यहां पर बच्चों के लिए पार्क, खेलने के लिए झूला का प्रबंध किया गया है। कैंटीन की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही पांच किलोमीटर का नेचर ट्रैक बनाया गया है। यहां पर पैदल व साइकिल से भ्रमण किया जा सकता है। बैठने के लिए बेंच आदि का प्रबंध किया गया है।
एसडीओ मनोज कुमार ने बताया कि रेंजर प्रभात वर्मा, डिप्टी रेंजर वीर बहादुर सिंह, के के श्रीवास्तव व इको टूरिज्म कमेटी की थारू महिला साध्वी थारू, लक्ष्मी थारू, चांदनी, सुंदरी आदि को यहां की व्यवस्था की निगरानी के लिए लगाया गया है। डीएफओ डॉ. एम सेम्मारन का कहना है कि छह नवंबर से ईको पर्यटन स्थल को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।
सोहेलवा एक नजर में
452 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग की प्राकृतिक आवोहवा, हरियाली और खूबसूरती सभी को लुभाती है। यहां टाइगर की दहाड़ और पक्षियों के कलरव एक साथ गूंजते हैं। अंग्रेजों के समय बंगाल टाइगर के प्राकृत वास के रूप में विख्यात सोहेलवा एक बार फिर पर्यटकों को लुभा रहा है। सोहेलवा पक्षियों की दृष्टि से भी काफी समृद्ध जंगल है। यहां बड़े पैमाने पर विदेशी परिंदे अपना आशियाना बनाकर प्रजनन करते हैं। गत वर्ष देश ही नहीं दुनिया के तमाम पक्षी विशेषज्ञों ने सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में एकत्र होकर पक्षियों का सर्वे किया था। सोहेलवा में पक्षियों की करीब 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें कुछ दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं।
कैसे पहुंचे जरवा
बलरामपुर से 28 किलोमीटर की दूरी पर तुलसीपुर है। तुलसीपुर से सोहेलवा जंगल तक पहुंचने के लिए निजी वाहन का सहारा लेना पड़ता है। साथ ही ट्रेन या सड़क मार्ग से सोहेलवा जंगल पहुंचने के लिए पहले तुलसीपुर आना होगा।
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