मध्यप्रदेश के खंडवा नगर में बुधवार को संयुक्त कृषक संगठन के आह्वान पर जिले के करीब 84 गांवों के किसान पहुंचे थे। यहां पहुंचे इन किसानों ने जिला मुख्यालय पर एक बड़ी रैली निकाली और सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। किसानों की इस रैली में सबसे पहले एक बैलगाड़ी पर भगवान बलराम की मूर्ति को रखा गया था तो वहीं उसके ठीक बाद बड़ी संख्या में किसान पैदल मार्च करते हुए चल रहे थे। इसके बाद बड़ी संख्या में दो पहिया वाहन सवार किसानों की रैली थी, और उसके ठीक बाद करीब 50 से अधिक ट्रैक्टरों पर किसान मौजूद थे।
किसानों की यह रैली नगर में जहां से भी गुजरी एक बड़ा और लंबा जाम लग गया और हर कोई किसानों की इस रैली को देखता रहा। इसके बाद किसानों की यह रैली सिविल लाइन स्थित स्टेडियम पहुंची, जहां किसान जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने की मांग पर याद गए। हालांकि, यहां एडीएम और एएसपी किसानों से मिलने पहुंचे। लेकिन उन्हें किसानों ने वापस कर दिया, जिसके बाद पहुंचे जिला कलेक्टर ने किसानों की मांग सुनी और उनका ज्ञापन लिया। इस दौरान किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के बयान पर कहा कि उन्हें अब नेताओं के बातों पर भरोसा नहीं है, यह सब चाकलेट है।
खंडवा नगर में खरीफ की फसलें आने से पहले सोयाबीन, कपास व मक्का की उपज के सही दाम मिले, इसको लेकर जिले के लगभग चार हजार से अधिक किसान करीब 50 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रालियों में बैठकर पांच किमी तक लम्बी रैली निकाल कर जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। जहां कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन कर, उन्होंने ज्ञापन सौंपकर सरकार से उचित दाम पर ही सोयाबीन, मक्का, कपास सहित अन्य उपजों को खरीदने की मांग की।
वहीं, इस दौरान संयुक्त कृषक संगठन के नेता जय पटेल ने कहा कि उनकी मांग है कि सोयाबीन के दाम छह हजार रुपये मक्का 2500 रपये, कपास 10 हजार रुपये, गेहूं 3500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक किए जाएं। साथ ही किसानों को साल 2023 का सोयाबीन फसल बीमा दिलाया जाने की मांग विशेष रूप से रखी गयी। वहीं, जय पटेल ने बताया कि अगले 16 तारीख के आंदोलन को लेकर संगठन के पदाधिकारियों के द्वारा जिले के 360 गांवों तक प्रचार-प्रसार किया गया है। इसमें किसानों से रैली में शामिल होने का आव्हान किया जा रहा है। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान पर किसान नेता ने कहा कि यह सब सरकार तो चॉकलेट देती है। अगर उनके दिल में करने की इच्छा शक्ति है तो किसानों के हित में फैसले करके दिखाएं अन्यथा किसान सड़क पर उतरकर अपना हक लेकर रहेंगे।