खंडवा नगर निगम में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। यहां निगम कर्मचारियों ने काम बंद कर पहले तो खंडवा महापौर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने बताया कि 15 दिसंबर को कलेक्ट्रेट कार्यालय में हुई एक बैठक के दौरान निगम कर्मचारियों को खंडवा एसडीएम द्वारा अमर्यादित शब्द बोले गए थे। यही नहीं, उन्होंने एसडीएम पर निगम कर्मचारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार करने वाला बताने के भी आरोप लगाए। जिसके चलते निगम के कर्मचारी सहित पार्षद और एमआईसी सदस्य भी नाराज दिखे। इन सभी ने इस घटना के विरोध में पहले तो निगम कार्यालय में ही जमकर नारेबाजी कर विरोध दर्ज कराया, जिसके बाद ज्ञापन सौंपकर एसडीएम को पद से हटाने की मांग की गई। इधर इस मामले में महापौर का कहना था कि वे कलेक्टर से मिलकर एसडीएम पर कार्रवाई किए जाने की मांग करेंगी।
खंडवा निगम परिसर में बुधवार को अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने काम बंद कर महापौर कक्ष के सामने हंगामा करते हुए नारेबाजी की। हंगामा कर रहे कर्मचारियों का आरोप था कि 15 दिसम्बर को कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभा कक्ष में पट्टा वितरण की बैठक के दौरान खंडवा एसडीएम ऋषी सिंघई ने उन्हें अमर्यादित शब्द बोलते हुए बैल और भेड़ की संज्ञा दे डाली। यही नहीं कर्मचारियों का आरोप था कि एसडीएम यहीं नहीं रुके और उन्होंने जनप्रतिनिधियों वे साथ मिलकर कर्मचारियों को भ्र्ष्टाचार करने वाला तक कह दिया।
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SDM सोकर नहीं उठाते तब से कर्मचारी करते हैं काम
इधर निगम कर्मचारी अध्यक्ष हरीश दुबे का कहना था कि निगम कर्मचारियों के संग एसडीएम ने बैठक के दौरान अभद्रता की है, इसलिए हम एसडीएम से कहना चाहते हैं कि वे हमें इतना भी छोटा कर्मचारी ना समझें। हमारे कर्मचारी सुबह 5:00 बजे से काम शुरू करते हैं, जब एसडीएम साहब सोकर भी नहीं उठते, और तब तक काम करते रहते हैं जब वे सो जाते हैं। इसलिए हमारे कर्मचारियों का स्वाभिमान रहेगा तो ही हम आने वाले समय में प्रशासन के साथ मिलकर काम करेंगे। हमारा आत्मसम्मान बहुत जरूरी है। यदि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति होती है तो हम बड़े आंदोलन का रुख करेंगे।
शहर में होगा अराजकता का माहौल
एमआईसी सदस्य राजेश यादव का कहना था कि सबसे पहले तो निगम के कर्मचारी और पार्षदों पर इस तरह से भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले अधिकारी को हटाया जाना चाहिए, या तो वो एक भी भ्रष्टाचार के आरोप को साबित करके दिखाएं। उनसे काम करते नहीं बनते, और निगम कर्मचारियों को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। सभी पार्षद और महापौर जिला कलेक्टर से मिलकर ऐसे कर्मचारियों को हटाने की मांग करेंगे। नहीं तो शहर में अराजकता का माहौल पैदा होगा, इसलिए इस तरह के अधिकारी को तुरंत हटाना चाहिए।
SDM बड़े अधिकारी, सोच विचार कर बोलना था
इस मामले में खंडवा महापौर अमृता यादव ने कहा कि, किसी को भी अधिकार नहीं है कि वे किसी दूसरे के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करें। जबकि निगम के कर्मचारी और अधिकारी पूरे समय शहर को सुंदर, स्वच्छ बनाने के साथ ही मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति करने में लगे रहते हैं। बावजूद इसके उनके साथ जो अभद्रता की गई है, उसको लेकर जिला कलेक्टर से मिलकर उचित कार्रवाई करवाई जाएगी, क्योंकि एसडीएम एक बड़े पद के अधिकारी हैं, और उन्हें सोच विचार कर ही बोलना चाहिए कि क्या शब्द उनके मुख से निकल रहे हैं।