रायसेन जिले में औद्योगिक नगरी मंडीदीप के व्यापारियों और उद्योगपतियों ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों पर हो रहे अत्याचार और मंदिरों को निशाना बनाने के विरोध में बांग्लादेश को उत्पात निर्यात बंद करने का फैसला लिया है। इस कारण व्यापारियों को लगभग 800 करोड़ रुपये वार्षिक निर्यात का नुकसान भी उठाने को तैयार है।
रायसेन की औद्योगिक नगरी मंडीदीप में व्यापारियों व उद्यमियों ने देश भक्ति की भावना से प्रेरित होकर अलग मुहिम चलाकर बांग्लादेश को उत्पाद निर्यात करने से मना कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि जब तक बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों पर अत्याचार और मंदिरों को निशाना बनाना बंद नहीं होता, तब तक मंडीदीप के फैक्टरी मालिक बांग्लादेश को किसी प्रकार से कोई सामान निर्यात नहीं करेंगे। व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल का कहना है कि सीमा पर बंदूक लेकर दुश्मन से लड़ना ही देशभक्त नहीं है। बल्कि बांग्लादेश की आर्थिक कमर तोड़ना भी देश भक्ति कहलाएगी।
बता दें, मध्यप्रदेश के रायसेन के इंडस्ट्रियल एरिया मंडीदीप से बांग्लादेश को 27 प्रकार के उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, जिसमें धागा, कॉटन, रेल के पार्ट्स, ट्रैक्टर रोड व्हीकल एवं पार्ट्स, मेकैनिकली मशीनरी, फाइबर प्लास्टिक और उससे बनी वस्तुएं ऑर्गेनिक केमिकल्स गिलास के बर्तन, ऑप्टिकल और चिकित्सा उपकरण, एल्यूमिनियम और तांबे से बनी वस्तुएं, कागज पेपर बोर्ड, स्टील फर्नीचर और भी कई औद्योगिक उत्पाद शामिल है, जो निर्यात किए जाते थे। लेकिन अब बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में इन व्यापारियों ने बांग्लादेश को निर्यात करना बंद कर दिया है और अपने इस फैसले की जानकारी सरकार को भी दे दी है, जिससे इन व्यापारियों को लगभग 800 करोड़ रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ेगा। अब अपने इन उत्पादों को ताइवान कतर और दुबई जैसे देशों में निर्यात किया जाएगा।
अग्रवाल का कहना है कि सभी व्यापारियों ने एकजुट होकर बांग्लादेश को उत्पात निर्यात नहीं करने का फैसला लिया है। उन्होंने पूरे प्रदेश के इंडस्ट्रियल एरिया वालों से बांग्लादेश को उत्पाद निर्यात नहीं करने की अपील की है। अग्रवाल का कहना है कि जब बांग्लादेश को उत्पाद निर्यात नहीं होगा, तभी उनकी कमर टूटेगी और बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों पर अत्याचार बंद होंगे। उसके बाद ही बांग्लादेश को सामान निर्यात किया जाएगा।
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