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Rajgarh: दीपावली के दूसरे दिन राजगढ़ में होता है छोड़ा उत्सव, जान दांव पर लगाकर गौ क्रीड़ा करते हैं ग्रामीण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़ Published by: राजगढ़ ब्यूरो Updated Sat, 02 Nov 2024 10:33 AM IST
राजगढ़ जिले के सुल्तानिया गांव में दीपावली के दूसरे दिन एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। इस दौरान आसपास के ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठी होती है, जिसमें बीच में गाय और कुछ ग्रामीणों के हाथ में लकड़ी पर बंधा हुआ छोड़ा होता है, जिसकी दुर्गंध गाय को विचलित करती है और वह उसे अपने सींगों से मारने के लिए दौड़ती है। बताया जाता है कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है, जिसे ग्रामीण आज भी निभाते आ रहे हैं।
दरअसल, राजगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बसे 6-7 हजार की आबादी वाले सुल्तानिया गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी से एक परंपरा चली आ रही है। यहां के लोग इसे देवताओं का खेल मानते हैं और इसे छोड़ा उत्सव के नाम से जाना जाता है, जो दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है।
गांव के ग्रामीणों के अनुसार, इस उत्सव के दौरान "गौ क्रीड़ा" नामक एक खेल खेला जाता है, जिसे छोड़ा उत्सव कहा जाता है। इसमें एक मोटी लकड़ी पर जंगली गंध वाली तुलसी पाड़े के चमड़े से छोड़ा बांधा जाता है और उसे गाय के सामने ले जाया जाता है। उसकी गंध से गाय आकर्षित होती है और उसमें बंधे हुए छोड़े को मारने के लिए दौड़ती है।
इस कार्यक्रम की शुरुआत गांव में स्थित प्राचीन माता के स्थल से होती है, जहां से छोड़ा और गाय को पूरे गांव में घुमाया जाता है। इस खेल को देखने के लिए राजगढ़ और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीण गांव में पहुंचते हैं और इसका आनंद लेते हैं। हालांकि यह खेल जितना आनंददायक है, उतना ही खतरनाक भी, क्योंकि आपकी थोड़ी सी चूक आपकी जान को भी खतरे में डाल सकती है।
गौरतलब है कि इस खेल के कारण पहले भी दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं। इसके बावजूद यहां के ग्रामीण इसे देवताओं का खेल मानकर आज भी इस परंपरा को कायम रखे हुए हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इस खेल से गांव में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। उनके लिए यह खेल उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि परिवार का एक सदस्य होता है।
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