मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के एक युवा किसान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह खेतों में डाली जाने वाली डीएपी खाद पर प्रैक्टिकल करते हुए नजर आ रहा है। इसमें उसने बताया कि खाद में लगभग 40 से 50 प्रतिशत रेत और अन्य पदार्थ मिले हुए हैं, जिससे यह खाद पूरी तरह से अमानक है।
वायरल वीडियो को लेकर किसान मनीष दांगी का कहना है कि गेहूं की सिंचाई के लिए डीएपी खाद का उपयोग कर रहे थे। शुरुआत में ही उन्हें लगा कि इसमें कंकर और पत्थर मौजूद हैं। उन्होंने मौके पर ही दो किलो खाद का प्रैक्टिकल करते हुए वीडियो बनाया, जिसमें 40 से 50 प्रतिशत रेत निकली, जो गलत है और किसानों के साथ सीधा धोखा है।
मनीष ने बताया कि पूरे जिले में खरीफ सीजन में यही खाद आई थी और किसानों को बांटी गई थी। उनके पास लगभग 40 बोरी खाद रखी हुई थी। खाद की अंतिम बोरी का प्रैक्टिकल किया था, और यदि कोई और प्रैक्टिकल करना चाहे तो वह भी कर सकता है, क्योंकि पड़ोसियों के पास भी खाद की बोरियां रखी हैं। यह खाद पूरी तरह से अमानक है और सरकार को किसानों के इस खाद के पैसे माफ करने चाहिए। इसके लिए हम पहले भी धरना प्रदर्शन कर चुके हैं, क्योंकि यह खाद पूरी तरह से अमानक है और किसानों के साथ छलावा है।
वहीं, राजगढ़ कृषि विभाग के उपसंचालक हरीश मालवीय ने कहा कि वे चाटुखेड़ा सोसायटी से खाद की बोरियों के नमूने मंगवाकर उनका परीक्षण कराएंगे। यदि उसमें 48 प्रतिशत तत्व हुए तो वह मानक के अनुसार ठीक है, लेकिन इससे कम हुआ तो अमानक माना जाएगा। जहां तक रेत की बात है, वह इसमें शामिल नहीं होनी चाहिए।
खाद में मिलने वाली रेत के बारे में खाद के जानकारों ने बताया कि डीएपी खाद में रेत शामिल नहीं की जाती है। हो सकता है जिसे किसान रेत बता रहे हों, वह बजरी हो, लेकिन इसे भी खाद में शामिल नहीं किया जाता।