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Diwali 2024: Here devotees go to the temple to light lamps even without idol, Lakshmi temple of Orchha is uniq
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Diwali: देश का एकमात्र मंदिर जो श्रीयंत्र और उल्लू की चोंच के आकार में बना, यहां के किस्से भी करते हैं हैरान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़ Published by: टीकमगढ़ ब्यूरो Updated Thu, 31 Oct 2024 03:17 PM IST
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में देश का अनूठा मंदिर जो बना है, उल्लू की चोंच एवं श्रीयंत्र के आकार का बना है। इसे तांत्रिक विधि से बनाया गया था। ये मंदिर माता लक्ष्मी मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर बेतवा नदी के किनारे बसे मध्य प्रदेश की अयोध्या ओरछा में एक पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर में 17वीं और 19वीं शताब्दी के चित्र और कलाकृतियों बनी हुई हैं जिनमें रामायण, महाभारत, झांसी की रानी के लड़ाई के दृश्य एवं भगवान श्री कृष्ण जैसी तमाम आकृतियां भी दर्शाई गई हैं जिनके चटक़ीले रंग इतने जीवंत लगते हैं जैसे इन्हें हाल ही में बनाया गया हो जिन्हें दूर देश विदेश से देखने के लिए लोग यहां आते हैं।
1622 में बना है मंदिर
इतिहासकार मानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1622 में राजा वीर सिंह देव ने ओरछा में कई ऐतिहासिक इमारतों के साथ कराया था। इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन विद्वानों द्वारा श्री यंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए तांत्रिक विधि से बनाया गया था। यह मंदिर देश दुनिया का इकलौता धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है, इस मंदिर का गर्भगृह आज भी खाली है। इस मंदिर की प्रतिमा तकरीबन 39 वर्ष पहले चोरी हो गई थी, तब से लेकर आज तक मंदिर के गर्भगृह का सिंहासन सूना पड़ा हुआ है मंदिर में माता की प्रतिमा ना होने के बावजूद भी यहां पूजा पाठ की जाती है और श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर माथा टेककर बिना मां लक्ष्मी के दर्शन किए वापस लौट जाते हैं।
दीपक जलाने से होती है मन्नत पूरी
स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर तो वही धनतेरस से दीपावली तक हजारों की संख्या में दूर देश विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात मंदिर व परिसर में दीपक जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और धन-धान सुख शांति समृद्धि एवं स्वास्थ्य प्रदान करती है। इसी परंपरा के चलते बुंदेलखंड सहित देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु इस मंदिर पर माता देखने के लिए पहुंचते हैं और दीप प्रज्वलित कर अपनी मन्नत मांगते हैं। कर्नाटक से पहुंचे श्रद्धालु रवीश कुमार कहते हैं कि ओरछा का लक्ष्मी मंदिर निश्चित ही आस्था का केंद्र है। मंदिर में मूर्ति भले ही ना हो लेकिन 500 साल पहले जो टेक्नोलॉजी राजाओं द्वारा इस्तेमाल की गई है वह हमें देखने के लिए बार-बार आकर्षित करती है।
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