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Shahdol News: रिटायर प्रिंसिपल ने किया देहदान, बेटा बोला- पिता मन के पक्के थे, उनके सामने हमें झुकना पड़ा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शहडोल Published by: शहडोल ब्यूरो Updated Mon, 25 Nov 2024 12:52 PM IST
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सेवानिवृत प्राचार्य बेलाराम जगवानी का शरीर मृत्यु के बाद मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए दान किया है। बेलाराम जगवानी (80) की मौत हो गई, उसके बाद परिजन उनका शरीर मेडिकल कॉलेज को सुपुर्द करने पहुंचे। इस दौरान पूरा परिवार गमगीन था। शहडोल में यह पहला मौका था जब किसी ने मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए अपना देहदान किया हो। जगवानी के निधन के बाद उनके स्वजनों ने उनकी इच्छा अनुसार उनकी देह का अंतिम संस्कार नहीं किया। अंतिम दर्शन और पूजा पाठ के बाद शाम होने से पहले देह को मेडिकल कॉलेज को दे दिया।
बता दें कि बेलाराम जगवानी का जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत शहर लारकाना जिला दादू में 2 मई 1944 को हुआ था। 1947 में विभाजन के बाद वो शहडोल आ गए। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के प्रथम बैच से एमएससी करने के बाद व्याख्याता के रूप में शहडोल के रघुराज हायर सेकेंडरी स्कूल में सेवाएं दी। इसके बाद जिले के अन्य स्कूलों में भी सेवाएं देते हुए पदोन्नति होकर प्राचार्य कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल पुरानी बस्ती से सेवानिवृत हुए। प्रारंभिक काल से ही बेलराम सामाजिक सेवा, मानव सेवा से जुड़े हुए थे।
बेलाराम जगवानी के बड़े बेटे सुनील जगवानी ने बताया कि मेरे पिता ने पहले से ही देहदान का मन बना लिया था। जब शहडोल में मेडिकल कॉलेज नहीं था, तब उन्होंने रीवा मेडिकल में देहदान करने की योजना बनाई, वहां संपर्क भी किया। देहदान के बाद शरीर को रीवा पहुंचाना पड़ता इसलिए वो शांत रहे, लेकिन जैसे ही शहडोल में मेडिकल कॉलेज बना वैसे ही उन्होंने 18 जुलाई 2019 को देहदान का आवेदन दिया था।
बेटे सुनील जगवानी ने बताया कि हमारे पिता मन के बहुत पक्के थे। जब वो शुरू में देहदान की बात करते तो हमारा पूरा परिवार पिता के फैसले के खिलाफ हो जाता, लेकिन वो अपनी बातों पर अटल रहते। पहले हमें उनके देहदान का निर्णय समझ ही आता, बाद में उन्होंने पूरे परिवार को समझाया। इसके महत्व को समझाया। अंत में हम सभी को पिता के अटल इरादे के सामने झुकना पड़ा।
छोटे बेटे किशोर जगवानी ने बताया कि पिता की अंतिम इच्छा को पूर्ण करने के लिए हम सभी पहले उनके पार्थिव शरीर को लेकर शांतिवन पहुंचे। वहां अंतिम संस्कार की सभी क्रियाओं को पूर्ण किया। इसके बाद उनका शरीर बच्चों की पढ़ाई के लिए दान किया है। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉक्टर नागेन्द्र सिंह ने कहा कि यह पहला मौका है, जब यहां के किसी स्थानीय ने छात्रों की पढ़ाई के लिए देहदान दिया हो। अभी तक इंदौर, भोपाल समेत अन्य मेडिकल कॉलेज से मृत शरीर बच्चों की पढ़ाई के लिए बुलाया जाता था। देहदान करने से उनका मृत शरीर बच्चों की मेडिकल पढ़ाई में बहुत लाभप्रद होता है।
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