बाबा महाकाल के दरबार में शनिवार को रूद्र मंत्रों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। गर्भगृह में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना कर रहे 11 ब्राह्मणों के साथ हजारों दर्शनार्थी महाकाल के दिव्य स्वरूप के दर्शन करने पहुंचे। विशेष पूजन-अर्चन को लेकर श्रद्धालुओं में कौतूहल देखा गया।
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा बाला गुरु ने बताया कि शनि प्रदोष के विशेष अवसर पर गर्भगृह में बाबा महाकाल का 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादशी-एकादशनी रुद्राभिषेक किया गया। उन्होंने बताया कि साल में तीन से चार बार शनि प्रदोष का विशेष संयोग आता है।
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शनिवार को सर्वप्रथम कोटि तीर्थ कुंड स्थित श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद 11 पंडितों ने गर्भगृह में बाबा महाकाल का रुद्राभिषेक पाठ कर अभिषेक पूजन किया। यह पूजा-पाठ मंदिर के पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में संपन्न हुआ।
शनि प्रदोष के दिन बाबा महाकाल व्रत रखते हैं। इसलिए सुबह की आरती के समय बाबा महाकाल को शक्कर का भोग लगाया गया। इसके बाद विशेष पूजन-अर्चना के बाद सांध्य आरती में उन्हें पकवानों का भोग अर्पित किया गया।
पंडित अभिषेक शर्मा ने बताया कि अश्विन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को श्रावण शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। भगवान शिव की पार्थिव शिवलिंग रूप में पूजन करने से श्रद्धालु अपने समस्त संकटों से मुक्ति पाते हैं। वहीं शनि प्रदोष के विशेष संयोग पर पूजा-अर्चना करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।