उज्जैन उद्यान विभाग की नर्सरी के पास करंट से आज दो नीलगायों की मौत हो गई, जहां उद्यान विभाग वालों ने आंवले के बगीचे में करंट के खुले तार छोड़ रखे थे। इस मामले की जानकारी लगते ही वन विभाग ने मृत नीलगायों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है, जिसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वन विभाग के डीएफओ पी.डी. गेब्रियल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हमें सूचना मिली थी कि उद्यान विभाग की नर्सरी में दो नीलगाय किसी कारण से मर गई हैं। हमने इस बात की जांच करते हुए नीलगायों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। जांच रिपोर्ट जल्द ही आएगी। इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई के बारे में बताया कि जांच के दौरान पता चला कि उद्यान विभाग की इस नर्सरी में आंवले के पेड़ों के पास करंट के तार खुले छोड़े गए थे, जिनकी चपेट में आने से नीलगायों की मौत हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि दोषी कोई भी हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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नीलगायों का कराया पोस्टमार्टम
कोठी के सामने स्थित उद्यान विभाग की मॉडल नर्सरी में रात में दो नीलगाय करंट की चपेट में आ गईं, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और वेटरिनरी चिकित्सक डॉ. अरविंद मेनन से मृत नीलगायों का पोस्टमार्टम कराया गया।
करंट के तार छोड़ना गलत
डीएफओ पी.डी. गेब्रियल ने बताया कि उद्यान विभाग ने बिजली के खुले तार कैसे छोड़ रखे थे, यह एक बड़ी लापरवाही है। जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद जांच कर जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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जानिए क्या होती है नीलगाय
नीलगाय एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर है। कद में नर नीलगाय घोड़े जितना होता है, पर उसके शरीर की बनावट घोड़े के समान संतुलित नहीं होती। पृष्ठ भाग, अग्रभाग से कम ऊँचा होने के कारण दौड़ते समय यह अत्यंत अटपटा लगता है। अन्य मृगों की तरह उसकी चाल तेज नहीं होती, इसलिए वह बाघ, तेन्दुए और सोनकुत्तों का आसानी से शिकार हो जाता है, यद्यपि एक बड़े नर को मारना बाघ के लिए भी आसान नहीं होता। छौनों को लकड़बग्घा और गीदड़ उठा ले जाते हैं। परंतु कई बार उसके रहने के खुले, शुष्क प्रदेशों में उसे किसी भी परभक्षी से डरना नहीं पड़ता क्योंकि वह बिना पानी पिए बहुत दिनों तक रह सकता है, जबकि परभक्षी जीवों को रोज पानी पीना पड़ता है। इसलिए परभक्षी ऐसे शुष्क प्रदेशों में कम ही जाते हैं।