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Banaskantha Factory Fire Eyewitnesses said earlier they were in Harda factory now there was a blast here too
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Banaskantha Factory Fire: चश्मदीद बोले- हरदा में थे तो वहां हुआ ब्लॉस्ट, अब यहां भी हो गया, परिवार उजड़ गया
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 01 Apr 2025 10:53 PM IST
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गुजरात के बनासकांठा जिले में मंगलवार को हुए पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले में अब हादसे से जुड़े प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी सामने आ रहे हैं। वहीं, मृतकों के इन परिजनों ने अब सरकार से मुआवजा राशि भी बढ़ाए जाने की मांग रखी है। फिलहाल, गुजरात सरकार की तरफ से करीब 4.50 लाख रुपये के मान से प्रत्येक मृतकों के परिजनों को मुआवजा राशि देने की घोषणा की गई है।
परिजन का कहना है कि उनके घर के घर ही तबाह हो गए और कुछ के पूरे घर ही उजड़ गए हैं। इसलिए हादसे के घायलों को 50 लाख रुपये के मान से मुआवजा दिया जाना चाहिए। बता दें कि इस हादसे में मध्यप्रदेश के हरदा जिले के हंडिया और देवास जिले के संबलपुर से वहां काम करने गए करीब 28 मजदूरों में से, करीब 20 मजदूरों की मौत होने की बात सामने आ रही है। साथ ही इनमें से एक महिला मजदूर गंभीर रूप से घायल भी है।
हरदा फैक्ट्री में ब्लास्ट के बाद आए थे गुजरात
गुजरात पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट हादसे में मृतकों में से एक के परिजन राजेश पिता सत्यनारायण नायक ने बताया कि वे हरदा जिले के हंडिया क्षेत्र के रहने वाले हैं। हंडिया से रविवार को ही कुल 24 लोग पटाखा फैक्ट्री में काम करने आए थे। इसके पहले वे हरदा में ही रहकर वहां की राजेश अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री में ठेकेदार के जरिए काम करते थे। लेकिन जब हरदा की पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ तो फैक्ट्री बंद हो गई। इसके बाद वे गुजरात की पटाखा फैक्ट्री में काम करने लगे। यहां उन्हें लक्ष्मी करके एक महिला ठेकेदार काम करने लाई थी। लेकिन यहां हुए हादसे में उनके छोटे भाई विष्णु पिता सत्यनारायण नायक की मृत्यु हो गई।
ब्लास्ट में कई परिचितों की हुई मौत
इसके साथ ही हादसे के प्रत्यक्षदर्शी राजेश ने बताया कि उनकी बुआ गुड्डी बाई सहित बुआ के तीनों बच्चों की भी इस हादसे में मृत्यु हो गई है। ये सब भी हंडिया के ही रहने वाले थे एवं हंडिया की ही निवासी उनकी परिचित एक महिला बबीता पति संतोष अभी घायल हैं। लेकिन बबीता के दोनों बच्चे धनराज और संजय की इस हादसे में मौत हो गई है। इनके साथ ही राजेश ने बताया कि उनकी एक छोटी बुआ डाली पति राकेश थीं। जो कि हंडिया से यहां काम करने साथ आई थीं। वे दोनों पति-पत्नी और उनकी करीब 6 साल की एक बच्ची की भी इस हादसे में मौत हो गई है।
50 लाख रुपये के मान से दिया जाए मुआवजा
हालांकि, जब राजेश से पूछा गया कि क्या सरकार से उन्हें किसी तरह का आर्थिक सहायता का आश्वासन मिला है। तब फिलहाल उन्होंने ऐसी किसी भी आर्थिक सहायता मिलने की जानकारी से इनकार किया। हालांकि, जब उनको बताया गया कि 4.50 लाख रुपये प्रत्येक मृतक के परिजन को देने की घोषणा की गई है। इस पर राजेश ने असंतोष जताते हुए कम से कम 50 लाख रुपये प्रत्येक मृतक के परिजन को देने की मांग रखी।
उनका कहना था कि एक परिवार के तो छह के छह लोग ही खत्म हो गए हैं। उस घर में तो पूरा ताला ही लग गया। वहां अब कोई नहीं बचा है। वह लोग देवास जिले के संदलपुर के रहने वाले थे, जिनमें एक लड़के का नाम लखन पिता गंगाराम था और इसी तरह उनका खुद का भी पूरा परिवार इस हादसे में खत्म हो गया है, जिसमें उनके चाचा, बुआ, फूफा, भाई सभी की मौत हो गई। इसलिए मुआवजा के रूप में काम से कम 50 लाख रुपये के मान से दिया जाना चाहिए और जब तक मुआवजा नहीं मिलता, वह यहां से जाएंगे नहीं। उनके भाई की बॉडी भी फिलहाल यहीं रखी रहेगी।
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