अलवर के किशनगढ़बास थाना क्षेत्र के झिरडिया गांव में वर्ष 2012 में हुए एक हत्या के मामले में एससी-एसटी विशेष न्यायालय ने आज फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इनमें से दो आरोपियों को आजीवन कारावास और दो को गंभीर मारपीट के आरोप में 10-10 वर्ष की सजा सुनाई है।
यह मामला झिरडिया गांव निवासी जौहर सिंह की हत्या से जुड़ा है। 9 मार्च 2012 को जौहर सिंह सुबह शौच के लिए खेतों की ओर जा रहा था, तभी पहले से घात लगाए बैठे चारों आरोपियों धर्मवीर, राजेंद्र उर्फ रज्जू, राकेश और बाबूलाल ने उस पर अचानक हमला कर दिया। लात-घूंसे और डंडों से की गई बेरहमी से पिटाई में जौहर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे जयपुर रैफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मृतक के भतीजे थावरिया ने उसी दिन किशनगढ़बास थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन पुलिस ने दोबारा उन्हें हिरासत में लिया और मामला एससी-एसटी विशेष न्यायालय में चलने लगा।
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सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक योगेंद्र खटाना ने प्रभावी पैरवी करते हुए 13 गवाहों और पुख्ता साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए। कोर्ट ने इन सबूतों को स्वीकार करते हुए धर्मवीर और राजेंद्र को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि राकेश और बाबूलाल को गंभीर मारपीट का दोषी मानते हुए 10-10 साल की सजा दी। इस फैसले से पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली है और न्यायपालिका पर विश्वास जताया है।