बालोतरा शहर और आसपास के औद्योगिक इलाकों में फैले प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए सोमवार को प्रशासन ने सख्त कदम उठाया। लंबे समय से अवैध रूप से संचालित हो रही औद्योगिक इकाइयों पर नगर परिषद बालोतरा, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम ने व्यापक कार्रवाई की। यह अभियान बालोतरा और जेरला औद्योगिक क्षेत्र में चलाया गया, जहां वर्षों से नियम-कायदों की अनदेखी करते हुए फैक्टरियां संचालित हो रही थीं।
इस कार्रवाई में नगर परिषद बालोतरा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, तहसीलदार पचपदरा, पुलिस विभाग और डिस्कॉम की टीमें शामिल रहीं। सुबह से ही औचक निरीक्षण शुरू हुआ और औद्योगिक क्षेत्रों में धड़ाधड़ छापामारी की गई। अधिकारियों ने मौके पर ही अवैध इकाइयों के रिकॉर्ड खंगाले और जब अनुमति व लाइसेंस संबंधी कागजात प्रस्तुत नहीं किए गए, तो तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया गया।
34 फैक्टरियों के बिजली कनेक्शन काटे
संयुक्त टीम ने इस दौरान कुल 34 अवैध औद्योगिक इकाइयों को चिन्हित कर उनके बिजली कनेक्शन काट दिए। बिजली सप्लाई बंद करने के साथ-साथ इन फैक्टरियों को सील करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। कुछ स्थानों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की गई ताकि भविष्य में इन इकाइयों को पुनः संचालित न किया जा सके।
प्रशासनिक अधिकारियों ने साफ शब्दों में कहा कि यह केवल शुरुआत है। अवैध औद्योगिक गतिविधियों के खिलाफ यह अभियान लगातार जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि नियमों को ताक पर रखकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी इकाई को बख्शा नहीं जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, शहर में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण की प्रमुख वजह यही अवैध फैक्टरियां हैं, जो बिना किसी शोधन संयंत्र के जहरीला कचरा खुले में फेंकती हैं।
स्थानीय निवासियों को राहत की उम्मीद
लंबे समय से स्थानीय लोग प्रदूषण की समस्या से परेशान थे। बरसों से नालों और जमीन में रासायनिक कचरे के बहाव के कारण यहां के जलस्तर और हवा की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ा है। कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुए, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी। सोमवार को हुई इस संयुक्त कार्रवाई ने लोगों को उम्मीद दी है कि अब हालात में सुधार होगा।
यह भी पढ़ें- RPSC NEWS: कुमार विश्वास की पत्नी डॉ. मंजू शर्मा का RPSC से इस्तीफा मंजूर, SI भर्ती विवाद के बाद लिया फैसला
बालोतरा और उसके आसपास का इलाका वस्त्र उद्योग और डाईंग-प्रिंटिंग इकाइयों के लिए जाना जाता है। लेकिन इनमें से कई इकाइयां बिना अनुमति और नियमों का पालन किए संचालित हो रही थीं। शुद्धिकरण संयंत्र लगाने के बजाय वे सीधे जहरीला पानी बाहर निकाल रही थीं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्टों में भी कई बार इस समस्या को चिन्हित किया गया था।
अधिकारियों ने कहा है कि आगे और जांच होगी और यदि अन्य इकाइयां भी नियमों के खिलाफ पाई गईं तो उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। नगर परिषद ने यह भी स्पष्ट किया कि वैध रूप से चल रही इकाइयों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन जिन्हें लाइसेंस या एनओसी नहीं मिली है, उन्हें तुरंत वैधानिक प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
यह भी पढ़ें- Rajasthan: हरिद्वार से मौत ने किया पीछा! सड़क हादसे में सात लोग मरे फिर नदी में 7 डूबे;रूह कंपाने वाला सिलसिला