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Banswara News: MP Rajkumar Roat spoke on problems of Dalits and tribals, social justice in Rajasthan
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Banswara: सांसद राजकुमार रोत बोले- दलित-आदिवासी पानी की बूंद को तरसें, कुपोषण भी झेलें; यह कैसा सामाजिक न्याय?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा Published by: बांसवाड़ा ब्यूरो Updated Tue, 15 Apr 2025 03:21 PM IST
बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि देश की आजादी के 77 साल बाद भी बाबा साहब के सामाजिक न्याय का सपना अधूरा का अधूरा है। गरीब, दलित, आदिवासी और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए संविधान निर्माताओं ने संविधान में विशेषाधिकारों का प्रावधान किया था। लेकिन आज भी देश के वंचित समुदाय के हालात और अधिक बिगड़ते जा रहे हैं।
देश में सामाजिक न्याय की बात कहां तक सार्थक हुई, उसकी हकीकत जानने के लिए सांसद राजकुमार रोत बांसवाड़ा जिले की ग्राम पंचायत केसरपुरा के बिलडीयापाडा गांव में पहुंचे। हालात जानने के बाद उन्होंने कहा कि यहां का आदिवासी माही डैम के पानी को देख तो सकता है, लेकिन अपनी प्यास नहीं बुझा सकता और न ही खेती के लिए उपयोग सकता है। दूसरी ओर सरकारें माही बांध के पानी को भीलवाड़ा, जालौर, बाड़मेर और पाली तक ले जाने का दावा कर रही हैं।
‘एक बूंद पानी को तरस रहे’
सांसद रोत ने कहा कि माही डैम बनने से विस्थापित हुए हजारों आदिवासी जो आज माही डैम से 20 किमी के क्षेत्र में रहे हैं, उनको पानी के लिए एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है और वे विस्थापन की मार भी झेल रहे हैं। इसी गांव में सरकार के हिसाब से कागजों में घर-घर नल कनेक्शन हैं, लेकिन हालात प्रतिकूल हैं। उन्होंने कहा कि विधवा मां के बच्चों को पालनहार का लाभ नहीं मिल रहा है।
‘पूर्ण रूप से लागू करें संविधान’
उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा है ये कहां का सामाजिक न्याय है? आज आदिवासी कुपोषण और गरीबी से जूझ रहा है। अगर सच में केंद्र व राज्य सरकार संविधान निर्माता बाबा साहब के सामाजिक न्याय के सपने को पूरा करना चाहती है तो देश के संविधान को पूर्ण रूप से लागू करें। गरीब वंचित, दलित व आदिवासी समुदाय को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य मूलभूत सुविधा पूर्ण रूप से उपलब्ध करवाएं।
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